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नवांगी टीकाकार पू अभयदेव सू.म. कुँए का उदाहरण देते है। प्यासा व्यक्ति पानी पीने के लिये कुँआ खोदता है। तब प्यास बढ़ती तो है फिर भी खुद
प्यास मिटती है और औरों को भी पीने को पानी मिलता है । ठीक उसी तरह पानी से स्नान करने में हिंसा दिखती है तो है मगर भाव से अहिंसा है। तो फिर महाराज साहेब पूजा क्यों नहीं करते?
जिसको द्रव्य रोग होता है वह द्रव्यपूजा करता है, साधु भावपूजा करते हैं। जैसे श्रावक द्रव्यदया करता है और साधु भावदया करते हैं ठीक उसी तरह साधु भावपूजा करते हैं।
12 ... पूजा के लिये स्नान विधि...
• पूर्व दिशा की ओर मुख को रखकर पूजा के लिये कम से कम पानी से स्नान करना चाहिये। गंदा पानी ४८ मिनिट में सूख जाय वैसी व्यवस्था करनी चाहिए ।
चर्बी वाले साबुन लगाने से शुद्धि कैसे होगी ?
गुड नाईट- 40
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