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________________ (१) प्रत्येक अँगुली का नाम है लेकिन पूजा की अंगुली का नाम ही नहीं है। इसलिए अनामिका = नाम का भी मोह प्रभु मुझे न हो। अनामी बनने के लिये अनामिका से पूजा। (२) अन्य अँगुलियाँ अलग-अलग काम के लिए नियत हैं,परन्तु इस अंगुली को केवल पूजा का ही काम है। अंगूठे पर बार-बार पूजा की कोई विधि नहीं हैं। जहाँ-जहाँ पर टीका लगा हुआ है वहाँ पर पूजा करनी चाहिए, यह व्यवस्थाहै । टीके न रखें तो बढ़िया। मस्तिष्क, गला, हृदय, नाभि के सिवाय छाती, पेट पर टीका हो तो मूल स्थान पर पूजा करनी चाहिए। चरण अंगूठे की पूजा क्यों? इसमें अनेक प्रकार के रहस्य छुपे हुए हैं । चरण स्पर्श विनय का प्रतीक है। प्रासंगिक - कलिकाल सर्वज्ञ हेमचंद्रसूरिजी म.सा. ने कहा कि रात को सोते समय दाँये नथुने से साँस खींचकर अंगूठे के ऊपर दृष्टि केन्द्रित करने से अनेक दोष (स्वप्न दोष वगैरह) नष्ट हो जाते हैं। सर्वप्रथम हो सके वहाँ तक मूलनायक भगवान की - - गुड नाईट - 55 Jan Eflication Internet inalot Personal frivate Amalnelibrary.org
SR No.004227
Book TitleGood Night
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRashmiratnasuri
PublisherJingun Aradhak Trust
Publication Year
Total Pages100
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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