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________________ पूजा करनी चाहिए। उसके बाद आरस के भगवान, उसके बाद पंच धातु के भगवान, सिद्धचक्र भगवान, गुरूमूर्ति, देव और देवी। नौ अंग की पूजा का ही मुख्य विधान है। इसलिए फणों की पूजा जरूरी नहीं है। फिर भी अगर फणों की पूजा करनी ही हो तो अनामिका अँगूली से कर सकते हैं। कारण कि फणा भी प्रभु का अंग ही है। 20 पूजा की सावधानियाँ दूसरे भगवान की पूजा करने के पश्चात् उसी केसर से मूलनायक भगवान की पूजा हो सकती| है। सिद्धचक्रजी की पूजा के पश्चात् भी प्रभु पूजा | हो सकती है। क्योंकि उसमें गुण की पूजा है। अष्टमंगल प्रभुजी के सामने धरना चाहिए, उसकी पूजा नहीं होती है। भगवान की गोद में सिर रखना, पाँव दबाना, गालो पर लाड़ करना आदि अविधि है। पूजा के लिये केसर जितना उपयोग में आए - गुड नाईट - 56 Pere Private Use On Jain Educanternat a ine.
SR No.004227
Book TitleGood Night
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRashmiratnasuri
PublisherJingun Aradhak Trust
Publication Year
Total Pages100
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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