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________________ १४१ भव तक सतत कलंक लगाने से ज्यादा पाप १ बार में परस्त्रीगमन से लगता है । • १६६ भव तक सतत परस्त्रीगमन के पाप से ज्यादा पाप १ बार के रात्रि भोजन करने से लगता है । ओह! रात्रि भोजन का कितना पाप ? यह क्रम रात्रिभोजन की भयंकरता बताने के लिये हैं । • गुरू के चरणों में जाकर रात्रि भोजन का नियम जल्दी से जल्दी स्वीकार लीजिए। रात्रि भोजन त्याग से महिने में १५ उपवास का लाभ मिलता है । • खस-खस अभक्ष्य है। अंजीर बहुबीज है । • दाडम, जामफल के बीज कड़क होने से अचित नहीं होते हैं । सचित्त श्रावक को नहीं खाना चाहिए। नींबू, टमाटर, कच्चा पक्का केला, आम लीलोत्तरी ही होती है। इसलिए आठम, चौदस, पांचम एवं पर्युषण और ओली में नहीं खानी चाहिए। गुड नाईट - 81 Jain Education Internet for ersonal rivate Use Oxywww.fainelibrary.org
SR No.004227
Book TitleGood Night
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRashmiratnasuri
PublisherJingun Aradhak Trust
Publication Year
Total Pages100
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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