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टमाटर का सोस अभक्ष्य है, जैन सोस में लहसुन नहीं होता, लेकिन वासी होने से अभक्ष्य है ।
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पूज्य गुरूभगवंतों को आहार वहोराने की विधि भावपूर्वक गोचरी वहोराने से उनकी आराधना के छुट्टे भाग का लाभ मिलता है।
• जीरण सेठ की तरह उपाश्रय में जाकर वंदनादि करके गोचरी की विनती करनी चाहिए। • नयसार-धन्ना सार्थवाह सुपात्र दान से ही सम्यक्त्व पाए एवं तीर्थंकर बने हैं। ● सुपात्र दान विधि - दान श्रद्धापूर्वक एवं शक्ति अनुसार देना । भक्तिपूर्वक दान की महत्ता समझकर दान देना । स्वार्थ की लालसा नहीं होनी चाहिए। तो प्रकृष्ट पुण्य बँधता है, एवं उत्कृष्ट कर्म निर्जरा होती है।
• गोचरी के समय श्रावकों के घर द्वार खुले हों, श्रावक इंतजार करे, कारण कि साधु दरवाजे की
गुड नाईट - 82
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