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आज कल दुनिया में जो केस चल रहे है उनका सर्वे करने से पता चला कि तमाम में स्टमक, सेक्स, वासना और इगो (अहंकार)। इसमें भी वासना और विकार के कारण अनेक पाप बढ़े हैं। मरणं बिंदु पातेन । सातसाधु का राजा वीर्य है। वीर्य का नाश यानि मृत्य। इससे अनेक रोग उत्पन्न होते हैं - जैसे आँखों का निस्तेज होना, गाल बैठना, कमर दर्द, शरीर टूटना, आलस्य ज्यादा आना, नींद नहीं आना, भूख न लगना, कहीं पर भी चित्त नहीं लगना। जीवन जीने की चाह नहीं ऐसे जीना आदि शारीरिक मानसिक अनेक बिमारियाँ होती हैं जिससे व्यक्ति किसी भी प्रकार का निर्णय नहीं कर सकता। शरीर विज्ञान : मानव के भोजन में से प्रत्येक आठ दिन में क्रमश: रस, खून, माँस, मेद, अस्थि, मज्जा और वीर्य में रूपान्तरण होता है। पूरे ४१ वें दिन सातवीं धातु वीर्य बनता है। एक मण
- गुड नाईट -94 -
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