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आहार में से एक तोला वीर्य बनता है । इसका उपयोग परमात्मध्यान, आत्मध्यान और आत्मा को ऊर्ध्वगामी एवं ओजस्वी बनाने में कर सकते हैं। इस अमूल्य जीवन शक्ति का नाश वासनात्मक विचारधाओं से होता है। जिसमें ढाई तोला जीवन शक्ति का नाश होता है । वासना के बूरे विचारों से दूर करने के लिए विजय सेठ और विजया सेठानी के अद्भूत ब्रह्मचर्य को याद करें । भगवान् नेमिनाथ और स्थूलभद्रस्वामी के ब्रह्मचर्य को याद करें। इस प्रकार से वासना और विकारों पर विजयी बनने का मंत्र - "श्री प्रेमसूरि सद्गुरूभ्यो नमः " इच्छा बिना भी चक्रवर्ती का घोड़ा ब्रह्मचर्य का पालना करता है तो देवलोक में जाता है। देवलोक के इन्द्र भी ब्रह्मचारियों को वंदन करके सिंहासन पर बैठते हैं ।
आज दिन तक वासना एवं विकारों के परवश आँख के, काया के, मन के पाप हो गए हों तो गुरू
गुड नाईट - 95
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