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चरणों में प्रायश्चित लेकर शुद्ध हो जाओ। प्रभु से आँख एवं काया की पवित्रता बनी रहे, इसकी शुद्ध मन से प्रार्थना करो। शुद्धि आपके हाथ में है, सिद्धि आपके साथ में है। जिनाज्ञा विरूद्ध कुछ लिखा हो तो
मिच्छामि दुक्कडम् । पूज्य गुरूदेव प्रेरित श्री नाकोड़ातीर्थ संचालित त्रिवर्षीय निःशुल्क विश्व प्रकाश पत्राचार पाठ्यक्रम में
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