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में है। मारू आयखु खूटे जे घड़ीये' गीत के गूंजन सहित, गद्गद्भरी प्रार्थना करते हुए भगवान् को अपने हृदय में स्थान देने की क्रिया का आभास होना चाहिए। मृत्यु के पश्चात् पुण्य एवं पाप के सिवाय अन्य कोई वस्तु साथ नहीं आती ऐसा अनुभव करना ।
• मानस यात्रा प्रयोग
अपने मन के द्वारा सिद्धाचल जाकर भरतचक्रवर्ती ने रत्नों की प्रतिमा भराई, उनके दर्शन करना आदि ।
30 ध्यान और ब्रह्मचर्य
वासन से वीर्य जलता है ।क्रोध से खून जलता है। सात करोड़ सोने की मोहरों का दान हमेंशा देवें या सात मंजिल का सोने का मंदिर बनावें, उससे भी बढकर ब्रह्मचर्य में लाभ ज्यादा है। ये व्रत जगमां दीवों मेरे प्यारे । ब्रह्मचारी के वचन सिद्ध होते हैं । धारे वह कार्य करने की प्रबल इच्छा शक्ति होती है ।
गुड नाईट- 93
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