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उपरोक्त धारणाएँ धारण करने के पश्चात् नवकार मंत्र को हृदय में स्थापित कीजिए। नवकार ध्यान :- नवकार का स्मरण श्वास के साथ इस प्रकार करें कि रोम-रोम में, रक्त के एक-एक कण में, दिमाग के १/१-२ अरब सेल में इसकी गूंज चलती हों हर धड़कन में नवकार वासित हो जाय। अहँ ध्यान - श्वास लेते - निकालते ॐ ह्रीं अर्ह नमः। ओम् :- पंच परमेष्ठी का बीज मंत्र है। अ = अरिहंत + अ = अशरीर सिद्ध = आ+ आ (आचार्य) = आ + उ उपाध्याय = ओ + म्
(मुनि) = ओम् • ह्रीं = २४ तीर्थंकर भगवान का बीज मंत्र है। शिवमस्तु की मंगल भावना रोज भाने पर पवित्र वाईब्रेशन्स बनते हैं। मानस मृत्यू प्रयोग - आँखे बंद करके कल्पना कीजिए कि मृत्यु की अन्तिम क्षण आपके नजदीक
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