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से दूर हो गई। २. श्रीपाल एवं सात सौ कोढ़ियों का कोढ रोग
अभिषेक जल से मिट गया। ३. कोढ़ रोग से पीड़ित अभयदेवसूरीजी पर अभिषेक
जल छांटने से स्वस्थ हो गए। वे ही नवांगी
टीकाकार बने। ४. पालनपुर के प्रहलाद राजा का कोढ़ रोग भी
अभिषेक जल से दूर हुआ। भगवान के जन्माभिषेक के समय ६४ इन्द्र असंख्य देवों के साथ आते हैं। इन्द्र स्वयं ५ रूप बनाते हैं। मागध-वरदाम, प्रभास तीर्थ, गंगा-सिंधु वगैरह नदियों के पानी में क्षीर समुद्र का पानी मिलाकर भाव-विभोर होकर अभिषेक पूजा करते हैं। आठ जाति के कलश (१) रत्न, (२) स्वर्ण, (३) चांदी, (४) रत्नस्वर्ण, (५) रत्नचांदी, (६ स्वर्णचांदी, (७) चांदी एवं (८) मिट्टी। प्रत्येक के ८-८ हजार कलाश = ६४००० x २४० = १,६०,00,000 (एक करोड़ साठ लाख) अभिषेक होते हैं।
गुड नाईट - 48 -
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