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पूजा की सभी सामग्री को धूपानी चाहिये । फल-फूल धोने की आवश्यकता नहीं है ।
• भगवान के गंभारे में प्रवेश करते समय निसीहि बोलकर मुख कोष बांधकर प्रवेश करना चाहिए। गंभारे में खड़े रहकर स्तुति, स्तवनादि नहीं गाने चाहिए, नव अंग के दोहे भी मन में ही बोलने चाहिए ।
• अभिषेक पूजा का जैन शासन में बहुत ही बड़ा महत्व है। देवता भी भगवान की अभिषेक पूजा के लिए दौड़ कर आते हैं ।
• अभिषेक जल आँख और मस्तिष्क पर लगाना चाहिए। अभिषेक जल भी पूजनीय है ।
15 अभिषेक पूजा का महत्व
१८ अभिषेक, लघु शांतिस्नात्र में २७ अभिषेक, अष्टोत्तरी में १०८ अभिषेक वगैरह में अभिषेक पूजा काही महत्व हैं ।
* प्रभाव *
१. जरासंघ के द्वारा फेंकी गई जरा विद्या नवण जल गुड नाईट - 47
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