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८. आठ जीवन कर्तव्य: (१) जिन मंदिर बनाना,
(२) गृहमंदिर बनाना, (३) जिनबिंब भरवाना, (४) प्रभु प्रतिष्ठा करवानी, (५) दीक्षा महोत्सव करवाना, (६) पदवीदान, (७) आगम लेखन, (८) पौषधशाला बनवाना ।
९. आठ चातुर्मासिक कर्तव्य : (१) नियम ग्रहण, (२) देशावगासिक, (३) सामायिक, (४) अतिथि संविभाग, (५) विविधतप, (६) अध्ययन, (७) स्वाध्याय, (८) जयणापालन । * सर्वप्रथम शयन विधि
१. सूर्यास्त के एक प्रहर (लगभग ३ घंटे) के बाद ही शयन करना चाहिए। परिवार मिलन : रात्रि को घर के सभी सभ्य एकत्रित होते हैं। बड़े बुजुर्ग गुरूदेवों के श्रीमुख से सुनी हुई प्रवचन की बातें सुनाते हैं । जिससे बच्चों में धर्म के संस्कार पड़ते हैं, प्रवचन श्रवण का रस जगता हैं और देव गुरू की महिमा बढ़ती है।
गुड नाईट - 4
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