________________
जिसके घर में मंदिर बने, उसका घर भी मंदिर बनें जिसके घर में अरिहंत उसके घट में भी अरिहंत ।
1
चूँकि मन में भावना पैदा होती है कि घर में भगवान हैं, हमें ऐसा नहीं करना चाहिये । वैसा नहीं करना चाहिये। छोटे बच्चों में अनायास ही सुंदर संस्कार पड़ जाते हैं। जिसके घर में हो अरिहंत, उसका होता है भवभ्रमण का अंत !
कभी कभार छ: रीपालक संघ की पधरामणी हो जाय। कभी चैत्यपरिपाटी में चतुर्विध संघ घर पर पधार जाय, पूज्य आचार्य भगवतादि साधु-साध्वी भगवंत के पुनीत पगले हो जाय । ५ तिथि को ५ मंदिर अवश्य जाने का होता है, इसलिये अनेक गुरूभगवंतों का लाभ मिल सकता है। श्रीराम, रावण, कृष्ण, अभयकुमार,शालिभद्र, दमयंती, कुमारपाल, वस्तुपाल, घरमंदिर रखते थे। साबरमती और विशाखापट्टनम का उद्धार घर मंदिर से ही हुआ । * घर मंदिर की विधि
संघ मंदिर में प्रभु का मुख विशेषकर पूर्व या उत्तराभिमुख होता है। घर मंदिर में इसके ठीक गुड नाईट - 19
Sonal & Priva
Jain Educat
Onlwww.jainelibrar