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विपरीत होता है। घर मंदिर में प्रभु का मुख या तो पश्चिम की ओर रखें या दक्षिण चूँकि घर मंदिर में पूजक की दिशा (पूजा करने वाले का मुंह ) पूर्व या उत्तर की ओर ही चलता है । (१) घर मंदिर में अन्य छ: दिशाओं का निषेध क्यों है ?
• पश्चिम दिशा में मुंह रखकर पूजा करने से ४थीं पीढी नष्ट होती है ।
दक्षिण दिशा में मुंह रखकर पूजा करने से संतति बढ़ती नहीं है ।
• अग्निकोण में मुंह रखकर पूजा करने से धन की हानि होती है ।
वायव्य कोण में मुंह रखकर पूजा करने से धन की हानि होती है ।
• नैऋत्य कोण में मुंह रखकर पूजा करने से कुल का क्षय होता है।
• ईशान कोण में
मुंह रखकर पूजा करने से संतति का क्षय होता है । (विवेक विलास - श्राध्ध विधि) (२) घर मंदिर में १-३-५-७-११ अंगुल से बड़ी मूर्ति नहीं चलती। (आजकल इंच का माप चलता है गुड नाईट - 20
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