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________________ इच्छा. कुसुमिणदुसुमिण ओहडावणत्थं राइयपायच्छित्तंविसोहणत्थं काउसग्ग करूं? इच्छं । कुसुमिण॰ करेमि काउसग्गं अन्नत्थ॰ चोथाव्रतभंग (स्वप्नदोषादि) के स्वप्न का पाप धोने के लिये ४ लोगस्स सागवरगंभीरा, अन्य हिंसादि के स्वप्न दोष लगा हो तो उसके प्रायश्चित हेतु ४ लोगस्स चंदेसु निम्मलयरा या १६ नवकार का काउसग्ग करना। इससे खराब स्वप्न का फल नाश होता है, अच्छे स्वप्न का फल मजबूत बनता है 1 कायोत्सर्ग में नियम आराधना के तमाम काउसग्ग सागरवरगंभीरा तक, प्रतिक्रमण के काउसग्ग चंदेसु निम्मलयरा तक और कर्मक्षय या शांति का काउसग्ग संपूर्ण लोगस्स का करना चाहिये । फिर अनुकूलतानुसार प्रातः प्रतिक्रमण अवश्य करना चाहिये । कम से कम सात लाख बोलकर रात्रि के पापों की माफी मांगना और भावजिन सीमंधरस्वामी + शाश्वत गिरिराज शंत्रुजय तीर्थं का चैत्यवंदन करना चाहिये। अईमुत्ता केवली ने शत्रुंजय गुड नाईट - 14 sonal & Faivate use Onlwww.jainelitary Jain Education Internation 14 -
SR No.004227
Book TitleGood Night
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRashmiratnasuri
PublisherJingun Aradhak Trust
Publication Year
Total Pages100
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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