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शांतिनाथ, पार उतारे पार्श्वनाथ, हियड़े मारे आदिनाथ ए कोईने न घाले घात. आहार शरीर ने उपधि, पच्चक्खू पाप अढ़ार, मरण आवे तो वोसिरे, जीवू तो आगार'', इस प्रकार शरीर के
अंगों में परमात्मा की स्थापना करनी चाहिये। ७. दुःस्वप्नों के नाश के लिए : सोते वक्त श्री
नेमिनाथ और पार्श्वनाथ प्रभु का स्मरण करना। सुखनिद्रा के लिये - श्री चंद्रप्रभस्वामी का स्मरण करना। चौरादि भय के नाश के लिए - श्री शांतिनाथ। भगवान का स्मरण करना। (आचारोपदेश) दिशाज्ञान: दक्षिण दिशा में पांव रख कर कभी सोना नहीं। यम और दुष्टदेवों का निवास है। कान में हवा भरती है। मस्तिष्क में रक्त संचार कम हो जाता है। स्मृतिभ्रंश, मौत और असाध्य बीमारियाँ होती है। यह बात वैज्ञानिकों ने एवं
वास्तुविदों ने भी जाहिर की है। ९. कहा भी है :
गुड नाईट -6 -
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