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________________ ___ दर्पण में प्रभु के प्रतिबिंब को पंखा वींझना चाहिये। मेरे हृदय में प्रभु बसें ऐसी भावना रखनी चाहिये। निमित्त शास्त्र के अनुसार मस्तक के ऊपर दो हाथ नहीं रखना। दर्पण में देखकर तिलक करना। इससे कालदर्शन भी हो जाता है। प्रभो! तू दर्पण में कालातीत है, मैं काल से कवलित हूँ। ऐसा सोचना। अक्षत पूजा में प्रथम साथिया बाद में तीन ढगली भरकर रखनी और ढगली में खड्डा नहीं करना। सिद्धशिला अर्ध चंद्राकार पर सीधी रेखा करनी, यह शास्त्रीय है। बिंदीवाला चंद्रमा का आकार गलत है। साथिया पर नैवेद्य और सिद्धशिला पर फल रखना चाहिये। तीसरी निसीहि बोलकर चैत्यवंदन करना। मूलनायक की माला गिननी और दर्शन पूजन का आनंद व्यक्त करने के लिये घंट बजाना। आज के साईन्स ने साबित कर दिया है कि घंटनाद करने से कान की अनेक बिमारियाँ दूर हो जाती हैं। ___ भगवान को पूंठ न हो वैसे बाहर निकलना। बाहर बैठकर बारह नवकार गिनना। ।।इति दर्शन विधि संपूर्ण ।। - गुड नाईट - 35 - Jain ucation Internationaltor Personal Private Onlyww.ainelibrary.org
SR No.004227
Book TitleGood Night
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRashmiratnasuri
PublisherJingun Aradhak Trust
Publication Year
Total Pages100
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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