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* चामर से नृत्य पूजा
प्रभु स्तुति गाने से अतिशय पुण्य का बंध होता है। पंचाशक ग्रंथ में कहा है कि आती हो तो १०८ स्तुति हर रोज गानी चाहिये। स्तुति बोलते वक्त ध्यान रहे कि दूसरों को भक्ति में अंतराय न पड़े।
परमात्मा की आँखों को ध्यान से देखने से 'त्राटक' होता है। परमात्मा के साथ बातें करनी हो, रावण और मंदोदरी की तरह प्रफुल्लित होकर नाचना हो, पाप के पश्चाताप में फूट-फूटकर रोना हो तो घर मंदिर जरूरी है। श्रावक के कर्त्तव्य में एक घर मंदिर और यथाशक्ति छोटी सी मूर्ति भी भरानी चाहिये ऐसा विधान है। शक्ति हो तो हीरा, माणिक, स्फटिक, सोना या चांदी की मूर्ति भरानी चाहिये, कम से कम आरस की मूर्ति। मूर्ति में जितने परमाणु हो उतने साल का दैविक सुख प्राप्त होता है । धूप, दीप पूजा होने के बाद धूप भगवान की बायीं ओर और दीपैक दाहिनी ओर स्थापित करें । चामर लेकर जो प्रभु के सामने नाचता है उसे दुनिया में कहीं नाचना नहीं
पड़ता।
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गुड नाईट- 34
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