Book Title: Yatindravihar Digdarshan Part 03
Author(s): Yatindravijay
Publisher: Saudharm Bruhat Tapagacchiya Shwetambar Jain Sangh
View full book text ________________ ( 12) व्याख्यानवाचस्पतिमहोपाध्याय-श्रीमदयतीन्द्रविजय मुनिपुङ्गवानां द्रुतविलम्बितछन्दोभिः स्तुत्यष्टकम् / वृजिनराशिनिराकरणक्षम, प्रबुधवाचकवृन्दशिरोमणिम् / सकलशास्त्रविचारणदक्षिणं, नमत धीर-यतीन्द्रगुरुम्परम् / 1 / नमत सादरमेनमनारतं, श्रमणसद्गुणशोभिवपुःश्रियम् / .. जगति तत्त्वविदामतितोषदं, गुरुयतीन्द्रमनीहमलोभिनम् / 2 / करुणया परया जगदद्भुतं, सदसि निर्जितवादिमतिप्रभम् / परमपावनमानतशर्मद, गुरुयतीन्द्रमहर्निशमानुमः / / दिशति यञ्चरणाम्बुजसेवनं, निरघधर्मकृतामिह देहिनाम् / सुखसमृद्धिमहाधनितादिकं, गुरुयतीन्द्रमघच्छिदमानुमः / / / रतिपतिच्छविजित्वररूपिणं, शशिसमानसुशीतलकारिणम् / श्रमणसेवकसंसृतितारिणं, नमत धीर-यतीन्द्रगुरुं प्रभुम् / 5 / प्रतिदिशोदितकीर्तिलताजुषं, सुजनवारिजराशिदिवाकरम् / कुमतनागमहाङ्कुशमद्वयं, परिणुमो गुरुधीर-यतीन्द्रकम् / 6 / सदसि वागधिपोपममर्थिनां, नवपयोदमिवेष्टवसुप्रदम् / सकलविश्वजनीनपुरःसरं, परिणुमो गुरुधीर-यतीन्द्रकम् / / श्रुतिसुखावहधर्मसुदेशनां, मधुरया गिरया ददतं सदा / सकलजीवदयारतमानसं, नमत धीर-यतीन्द्रगुरुं जनाः / / अष्टकं कृतवानेत-द्विजयान्तिक " उत्तमः" उपाध्यायगुरोरस्य, कृपयाऽसीमया मुदा / 9 / मुनिउत्तमविजयः।
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