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कर्तव्यों को निभाता है, उन्हें सुबह उठकर प्रणाम करता है, उनके साथ भोजन करता है, रात्रि में सोने से पूर्व उनकी चरण-सेवा करता है, उसका पुत्र होना भी धन्य है। ___ मैं, महिलाओं से कहना चाहूँगा कि वे अपने पति को उसके माँ-बाप से अलग न करें, अलग न होने दें। अगर वह अलग ही होना चाहे तो आप उन्हें समझाएँ कि वह माता-पिता से अलग न हो। हर महिला का कर्तव्य है कि अगर उसका पति श्रवणकुमार की भूमिका अदा करना चाहता है तो वह उसका अवश्य ही सहयोग करे। यदि आप श्रवणकुमार की माँ बनाना चाहती हैं, तो कृपया अपने पति को श्रवणकुमार बनने की प्रेरणा दें। उसे ऐसा करने का प्रोत्साहन दे। सभी, माता-पिता के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करें। ___घर में सभी समान रूप से अपने-अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें,तभी घर स्वर्ग बन सकेगा। सास-बहू परस्पर न लड़ें। मैंने अभी कुछ दिन पहले एक बह से पूछा, 'आपको हाथ-खर्च कौन देता है? उसने बताया, 'सास देती है।' अच्छा हुआ, उस बहू ने सारी सासुओं की लाज रख ली।सास-बह माँबेटी के समान होती हैं। सास हमेशा यही समझे कि बहू, बहू नहीं बल्कि बेटी है और बहू भी सास को माँ ही समझे। घर के सभी सदस्य अगर तरीके से जीना सीख लें तो दुनिया की कोई भी ताक़त घर को नहीं तोड़ सकती। बाप-बेटे अलग नहीं हो सकते। सास और बहू के बीच वैचारिक संतुलन नहीं बन पाने के कारण ही घर टूटा करते हैं। मैं सासुओं से कहना चाहूँगा कि आप अपनी बहुओं को इतना प्रेम, इतना स्नेह दें कि बहुएँ अपने पीहर का फोन नम्बर तक भूल जाएँ। कभी पीहर जाना भी पड़ जाए तो उसे सास रूपी मम्मी की याद आती रहे, और उसे वहाँ से जल्दी ही वापस आने की इच्छा हो। अभी तो हालत उलटी है। यदि बहू ससुराल में है तो वह हमेशा ऐसा अवसर तलाशंती रहती है कि उसे पीहर जाने का मौका मिले। कुछ भी नहीं तो वह अपने भाई को फोन पर कहेंगी, ‘बेटे का जन्म-दिन मना लो, ताकि मुझे पीहर आने का मौक़ा मिल जाए।'
सासुओ, तुम अपनी बहुओं को इतना स्नेह दो कि वे पीहर जाने को इतनी बावली न हों। उनके माता-पिता ने अपनी लड़की को तुम्हारे घर भेज घर को स्वर्ग कैसे बनाएँ?
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