Book Title: Wah Zindagi
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 63
________________ यह है सुधारने की प्रक्रिया वहीं यदि पिता पुत्र को पैसा देकर छुड़ा लाता, तो वह होती बेटे को बिगाड़ने की प्रक्रिया। अच्छे घर, अच्छे नज़रिये के निर्माण के लिए वातावरण का अच्छा होना ज़रूरी है। नज़रिया अच्छा होने पर आपके कर्मचारी भी बेहतर काम करेंगे अन्यथा विशिष्ट योग्यता होने के बावजूद घटिया नज़रिये के कारण उनकी कार्य-क्षमता प्रभावित होगी। मेरा अनुरोध है कि अगर आपके हाथ में है तो आप अपने आस-पास के माहौल को बेहतर बनाने के लिए तत्पर हो जाइए। आपकी शिक्षा कैसी है. इसका भी नजरिये पर बहत प्रभाव पड़ता है। आज की शिक्षा केवल रोजी-रोटी कमाना सिखाती है। मैं देश के कर्णधारों और शिक्षाविदों से कहना चाहूँगा कि शिक्षा ऐसी हो जो सिर्फ रोजी-रोटी कमाना ही नहीं बल्कि जीने की कला और जीवन-मूल्यों को भी सिखाए। जिस विद्यालय में जीवन के संस्कार दिये जा सकें, वे ही वास्तविक विद्यालय हैं। आजकल की इंग्लिश पब्लिक स्कूलों की भीड़ में हमारे संस्कार भी कहीं गुम होकर रह गए हैं। हम नहीं देखते कि वहाँ बच्चों को कैसे संस्कार दिये जा रहे हैं? विद्यालय इसलिए नहीं हैं कि वहाँ बच्चे केवल पुस्तकें पढ़ना ही सीखें। विद्यालय तो ज्ञान व संस्कार का वह झरना होता है जिसमें हर विद्यार्थी को स्नान करते रहना चाहिए। जो शिक्षा व्यक्ति का चरित्र-निर्माण न कर पाए, वह शिक्षा, शिक्षा नहीं, शिक्षा की तकनीक भर है। मात्र तकनीकी शिक्षा। ___अपने बच्चों को आदर्श विद्या मंदिर जैसे किसी विद्यालय में पढ़ाएँ। कम-से-कम पाँचवी तक तो वहीं पढ़ाएँ , फिर उन्हें किसी और स्तरीय विद्यालय में पढ़ा लें। जीवन में जितना ज़रूरी विद्यार्जन है, उतना ही ज़रूरी है : संस्कार । सुबह कब उठना चाहिए, सुबह उठकर क्या करना चाहिए, माता-पिता को प्रणाम करना, बड़ों का आदर-अदब करना, बड़ों से कैसा व्यवहार करना, अपने सहपाठियों के साथ कैसा मैत्रीपूर्ण व्यवहार करना, किस अदब के कपड़े पहनना आदि बहुत सी बातें ऐसी हैं, जिनके संस्कार घर और स्कूल में ही दिए जा सकते हैं। यदि हम शुरू में ही इस बात के प्रति सावचेत न हुए तो संतान गई काम से। ५६ वाह! ज़िन्दगी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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