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की कम है। आज की सबसे बड़ी समस्या व्यक्ति की मानसिकता की है। मन में ही सारी समस्याएँ घिरी हुई हैं। निराशा, तनाव, घुटन, अवसाद के भाव जब-जब पैदा हो जाते हैं तब तब ओनामी जैसा सबल-समर्थ पहलवान भी ऐसी पतली हालत में आ जाता है कि वह अपने ही चेलों से मात खा जाता है। मन की धाराएँ मजबूत हो जाएँ तो सभी कार्य सरलता से सम्पन्न हो जाते हैं। अंधेरों को कोसने का काम बहुत हो गया। अब तो आप मोमबत्तियाँ जलाइये, आत्मशक्ति की मोमबत्तियाँ, मनोबल की मोमबत्तियाँ। ___एक खरगोश की कहानी बताती है कि वह जानते हुए भी कि हर रोज एक जानवर शेर को भेंट किया जाता है और आज उसकी बारी है। फिर भी उसने तय कर लिया कि वह शेर का भोजन नहीं बनेगा। खरगोश शेर के पास पहुँचा और बोला, 'महाराज, माफ करें। मुझे आने में बहुत देर हो गई। शेर भूख के कारण बिलबिला रहा था। वह क्रोधित भी था। जब उसने देखा कि रोज तो बड़े-बड़े जानवर आते हैं और आज यह अदना- साखरगोश और वह भी इतनी देर से आया है। तभी खरगोश बोला, 'महाराज, मैं तो बहुत जल्दी रवाना हो गया था। मुझे पता था कि शेर अंकल को बहुत तेज भूख लग रही होगी, लेकिन जब मैं बीच जंगल में पहुँचा तो सुना कि कुएँ में से तेज दहाड़ की आवाज आ रही है। मैंने उसमें झाँककर देखा तो पाया कि उसमें एक और शेर बैठा है। मैंने उससे पूछा 'तुम यहाँ क्या कर रहे हो?' उसने कहा, 'मैं यहाँ रहता हूँ कुँए की गुफा में, और इस जंगल का राजा भी मैं हूँ। तुम्हें जल्दी से इस कुएं में कूद जाना चाहिए ताकि मैं तुम्हारा आहार ले सकूँ।' खरगोश ने कहना जारी रखा, 'महाराज, मैं बड़ी मुश्किल से उससे पीछा छुड़ाकर आया हूँ। मैं तो यह सोच रहा हूँ महाराज कि मैं तो छोटा-सा जंतु था, जैसे-तैसे निकलकर आ गया। कल से फिर कोई जानवर आएगा आपके आहार के लिए। कहीं ऐसा न हो कि वह बीच में ही उसे झपट ले जाए।' ___ यह बात सुनते ही शेर और क्रोधित हो गया। 'अरे, जंगल का राजा तो मैं . हूँ। मेरे रहते दूसरा जंगल का राजा कैसे बन सकता है?' शेर ने तमतमाते हुए कहा। महाराज, यह तो आप जानें। मैं भलाशेर से कैसे मुकाबला कर सकता हूँ? अगर, आप कहें तो मैं आपको कुँआ, ज़रूर दिखा सकता हूँ, खरगोश ने
आत्मविश्वास जगाएँ, असंभव का 'अ' हटाएँ
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