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वाह ! ज़िन्दगी
ऐसे मिटेगी, देश की गरीबी
"गरीबी अभिशाप है। आप अभिशप्त जीवन जीने को क्यों मजबूर हैं? ऊँचे लक्ष्य बनाइये और उम्दा मेहनत कीजिए। आज नहीं तो कल, मेहनत अवश्य रंग लाएगी।"
जिज्ञासा-समाधान
पहला प्रश्न है : देश की गरीबी धर्म-नीति के द्वारा कैसे दूर हो सकती है?
(पं. प्रमोदराय आचार्य) भारतीय संस्कृति ने मानवीय जीवन की सफलता और समृद्धि के लिए चार तरह के पुरुषार्थ करने पर जोर दिया है-(१) धर्म, (२) अर्थ (३) काम
और (४) मोक्ष। जीवन की सम्पूर्णता के लिए ये चार पुरुषार्थ आधारभूत स्तंभ हैं जिन पर भारतीय संस्कृति केन्द्रित है। न केवल देश के लिए बल्कि सम्पूर्ण विश्व के लिए गरीबी अभिशाप है। हमारे देश की संस्कृति ने अर्थ के लिए पुरुषार्थ की प्रेरणा देते हुए इस बात पर सबसे अधिक जोर दिया है कि प्रत्येक नागरिक अधिसंपन्न हो। मैं अपनी ओर से अपरिग्रह का समर्थन अवश्य करूँगा, लेकिन मैं ऐसे अपरिग्रह पर विश्वास रखता हूँ जिसे सम्पन्नता की मौलिक समझ के साथ स्वीकार किया जाये। गरीब व्यक्ति के लिए संतोष या अपरिग्रह
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वाह! ज़िन्दगी
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