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शारीरिक असुंदरता के कारण भी हीन-भावना न पनपने दें। यह शरीर तो प्रकृति-प्रदत्त है। काला-गोरा रंग हमारा परिणाम नहीं है। चमड़ी को देखकर जो व्यक्ति हीनभावना से ग्रस्त होता है, वह इन्सानियत की कद्र नहीं करता। वह चमार होकर केवल चमड़ी का ही मूल्यांकन करता रहता है। आप अपने असौन्दर्य के कारण अपने भीतर हीन-भावनाओं को स्थान मत दीजिए। जीवन में वह सुंदर नहीं है जो बाह्य शारीरिक रूप से सुन्दर है बल्कि सुंदर वह है जो सुंदर विचारों के साथ सुंदर कार्य करता है। जीवन को सुन्दर रंग देना आपके हाथ में नहीं है, लेकिन उसे ढंग देना आपके हाथ में है। ____ सुकरात बहुत ही बदसूरत थे। उनका चेहरा चेचक के दागों से भरा था, लेकिन अपने महान् विचारों के कारण आज भी उन्हें महान् दार्शनिक के रूप में याद किया जाता है। उनकी भगवान् से यही प्रार्थना थी कि हे प्रभु! तूने इस शरीर को भले ही बदसूरत बनाया हो लेकिन तू मुझे हमेशा वह सन्मति दिये रखना जिससे मैं अपने हृदय को सुंदर बना सकूँ'। हिन्दी के महान् कवि मलिक मोहम्मद जायसी एक आँख से ही देख सकते थे, लेकिन उनके काव्य ने सिद्ध कर दिया कि प्रकृति ने अगर कुछ असुंदर बना भी दिया तब भी इन्सान चाहे तो स्वयं को गरिमापूर्ण बना सकता है, सुंदर रचनाएँ कर सकता है। सूर जिनके भजन हम गाते-गुनगुनाते हैं, वे तो नेत्रहीन हीथे। नेत्रवाले तोभुला भी दिये जाते हैं लेकिन जब नेत्रहीन कुछ कर गुजरने का संकल्प अख्तियार कर ले तो वह भी आने वाले कल के लिए आदर्श बन सकता है।
कृपया, हीन-विचारों से ग्रस्त न हों। हीनता और हीन-भावना हमारे अपने मन की कमजोरी के ही परिणाम हैं। आप अपने संकल्प से इस ग्रंथि पर विजय पा सकते हैं। एक सुंदर-सी घटना है
हम किसी घर में मेहमान हुए। धीरे-धीरे वह परिवार हमारे करीब आता गया। एक दिन मैंने उस घर की महिला से पूछा, 'बहिन, एक बात बताओ। आप इतनी सुंदर हैं, पढ़ी-लिखी हैं, और आपके पति काले रंग के हैं, नाक भी जरा मोटा दिखाई देता है, चेचक के दाग भी हैं। आखिर आपने इन्हें पसंद कैसे किया होगा? क्या कारण है? कहीं ऐसा तो नहीं है कि आपके माता-पिता ने लड़के को देखे बिना ही आपकी शादी तय कर दी हो और आपको मज़बूरी में
ऐसे मिटेगी, देश की ग़रीबी
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