________________
हुआ रखेगा।
कभी कोई ऐसी छोटी-सी घटना भी घट जाती है जिसके कारण हम खुद को हीन महसूस करने लगते हैं। हम अपनी जिंदगी में नई फ़िजाएँ लेकर आएँ। केवल अपने मन को ठीक से समझ लें और आत्म-विश्वास को जाग्रत हो जाने दें। आप पाएंगे आपके मन की कुंठाएँ मिट चुकी हैं। धीरे-धीरे आपका कायाकल्प होने लगेगा। आप स्वयं को प्रकृति के सान्निध्य में ले जाएँ। सुबह आधे घंटा नंगे पाँव हरी घास पर, दूब पर मिलिट्री मैन की तरह चलें, टहलें, घुमें। 'सूर्यनमस्कार' की योग-विधि भी सम्पन्न कर लें। महीने दो महीने सुबह दूध के साथ दस कागजी बादाम भी खा सकते हैं। अच्छी किताबें पढ़ें। उन लोगों पर किताबें जिन्होंने अपने जीवन में ऊँचाइयों को छुआ है। इस संदर्भ में हमारी अपनी काफी किताबें हैं, उन्हें ले लें और उनका उपयोग करें। आपको चाहिए केवल पॉजिटिवनेस, अच्छी सोच, अच्छा दृष्टिकोण। प्रश्न है - पूर्व के प्रारब्ध और माता-पिता से मिले हुए कुबुद्धि आदि संस्कार क्या समाप्त हो सकते हैं? मानव-जीवन की सफलता और आध्यात्मिक उन्नति के लिए मार्गदर्शन कराएँ। (कैलाश अग्रवाल)
किसी भी घर में बच्चे का जन्म लेना सौभाग्य की बात होती है, पर बच्चे का संस्कारयुक्त निर्माण करना किसी भी राष्ट्र के संचालन करने से भी कठिन होता है। शायद राष्ट्र का संचालन सरल होता होगा, लेकिन अपने घर में बच्चे को पाल-पोस कर उसे समाज के बीच इजत की जिंदगी जीने के लिए काबिल इन्सान बनाना कठिन होता है। नारी अर्थात् मातृसत्ता इसलिए महान् है क्योंकि वह अपने बच्चे को ऐसे संस्कार देकर समाज और देश के बीचजीने के काबिल बनाती है। ___एक तो पूर्व के प्रारब्ध से ही व्यक्ति अच्छी-बुरी बातें या अच्छे-बुरे संस्कार लेकर आता है और दूसरा उसके घर का माहौल और वातावरण उसे बनने या बिगड़ने के लिए प्रेरित करता है। ऐसे समझें-एक गर्भवती महिला ने अपनी सखी से कहा, 'क्या बताऊँ? जैसे-जैसे मेरा गर्भ बढ़ रहा है, मुझे विचित्र विचित्र इच्छाएँ होने लगी हैं।' उसकी दूसरी सखी ने पूछा, 'ऐसी क्या
ऐसे मिटेंगी, देश की गरीबी
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org