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सपना सुनाओ।'
एक ने कहा, 'क्या बताऊँ, रात को सपने में महादेवजी आए थे। वे मुझे कैलास पर्वत पर लेकर गए। पार्वती माँ ने मुझे गोद में बिठाकर कहा, 'बेटा बहुत बड़ा हो गया है अत: यह खीर का कटोरा तुझे ही पिलाऊँगी।' अब उस खीर पर मेरा अधिकार होता है क्योंकि माँ पार्वती का आदेश हो चुका है।
— दूसरे ने कहा, 'तेरा सपना तो कुछ भी नहीं है, मेरा सपना सुन। रात को रामजी आए थे। उन्होंने कहा, 'मैं तो चौदह वर्ष के लिए वनवास जा रहा हूँ। तुझे अयोध्या की राजगद्दी सौंप जाता हैं। उन्होंने मेरा राजतिलक किया और कहा, 'सबसे पहले खीर ही पीना। तो अब इस खीर पर तो मेरा अधिकार है।' दोनों व्यक्ति आगे बढ़ने लगे तो कटोरे की ओर देखकर तीसरे ने कहा, 'ठहरो भाई, मेरा सपना भी तो सुन लो। दोनों ने पूछा, 'बताओ, तुम्हारे सपने में क्या हुआ?' उसने कहा, 'रात मेरे सपने में हनुमानजी आए थे। मैं तो आराम से सोया था कि उन्होंने तीन-चार सोटे लगा दिए और बोले, 'खड़ा हो।' मैं तो डर रहा था तो जोर से बोले, 'खड़ा हो।' वे बोले, 'कटोराखोल।' मैंने कटोरा खोल दिया तो बोले, 'पी। ‘पी लिया सा'ब। ‘क्या कहता है, दोनों ने एक साथ कहा। ‘सपना तो आप दोनों का ही अच्छा था' तीसरा बोला, पर क्या करूँ, हनुमानजी आए थे!'
पाता वही है जो जाग्रत होता है, खोता वही है जो सोया रह जाता है। अब आप खुद निर्णय कर लें कि सोया हुआ जीवन अच्छा है कि जागता हुआ। खीर का कटोरा पीना है तो जागना ही होगा। जिंदगी में खीर के कटोरे की अगर चिंता नहीं है तो सोये रहो, खोये रहो, डूबे रहो। मूर्छाग्रस्त व्यक्ति तो वैसे भी सोया हुआ ही रहता है। जागे तभी सवेरा। जो जब जग जाता है, तभी जीवन में सूर्योदय हो जाता है।
__ आप जो पूछते हैं कि जीवन जागता हुआ अच्छा होता है या सोया हुआ? तो मैं कहना चाहूँगा कि जागना ही अच्छा है लेकिन जो रिश्वतखोर हैं, जो चोरी करते हैं, छल-प्रपंच करते हैं, व्यभिचार करते हैं उनका सोना ही अच्छा है। नैतिक और ईमानदार लोगों का जागना अच्छा है जबकि बेईमान, अनैतिक लोगों का हमेशा सो जाना ही अच्छा है। भगवान करे, ऐसे लोग सदा सोए रहें या सदा के लिए सो जाएँ। जाग्रत तो वे लोग रहें जोधार्मिक हैं, नैतिक ऐसे मिटेगी, देश की गरीबी
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