Book Title: Wah Zindagi
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 99
________________ हैं जिनसे विश्व को अपेक्षा है, जो प्रेम, शांति और खुशहाली को फैलाने में सहयोगी हों। आज के समाज का यह बहुत बड़ा दायित्व है कि वह प्रेम और शांति के संदेशों को जगत् में विस्तीर्ण करे। यदि आप अपनी चारदीवारी तक सीमित रह गए तो मैं बेहिचक कहँगा कि आने वाला समय इतना खतरनाक होगा जो आपको नहीं बचा पाएगा। कोई घातक विस्फोट हो, उससे पहले अहिंसा, शांति, प्रेम, करुणा में आस्था रखने वाले हर धर्म और पंथ, संत और ग्रंथ को पूरे विश्व में फैला देना चाहिए। हिन्दू, जैन, बौद्ध धर्म के मानवीय मूल्यों को साम्प्रदायिकता के शिकंजे से बाहर निकालकर पूरे विश्व तक फैल जाने दो ताकि वह विश्व-प्रेम और शांति के झरनों को अपने देश और समाज के लिए कुछ सुकून उपलब्ध करा सकें। बैलगाड़ी की चाल से आप कब तक चलते रहेंगे? जब सारा विश्व हवाई-जहाज से भी अधिक तीव्र गति से चल रहा हो तो तुम बैलगाड़ी से कहाँ तक पहुँच पाओगे? ___महापुरुषों ने धर्म का जन्म, धार्मिक मूल्यों का जन्म गिने-चुने लोगों के लिए नहीं किया है बल्कि पूरे संसार के कल्याण के लिए किया है। धर्म और पंथ को विराट् होना चाहिए। नजरिया, सोच ज्यों-ज्यों विराट् होंगे, त्यों-त्यों आप अपने आपको विराट् करते चले जाएँगे। प्रबुद्ध और उपशांत होकर हर व्यक्ति अपना यह कर्तव्य निभाए। चौथा प्रश्न है : बच्चों को सुधारने के लिए क्या किया जाना चाहिए? (ज्योत्सना जांगिड़) बच्चे तो भगवान के अवतार होते हैं। उनमें तो भगवान् का शिशु-रूप छिपा होता है। जैसा आप अपने घर का माहौल रखेंगे, बच्चा वैसा ही सीखता जाएगा। ईश्वर जब किसी बच्चे को भेजता है तो अच्छा बनाकर ही भेजता है। फ़र्क केवल इस बात का है कि आपके घर के माहौल से वैसे ही बच्चे का निर्माण हो जाता है। बच्चे तो पानी की बूंद की तरह हैं। जैसा पात्र मिलेगा, वैसा ही बनेंगे। बरसात का पानी सर्प के मुँह में जाएगा, तो जहर बनेगा और सीप के मुँह में जाएगा तो मोती बनेगा। पानी के लिए जैसा पात्र, वैसा परिणाम। घर का माहौल भी पात्र की तरह है। बच्चा अच्छा हो, इसके लिए जरूरी है कि आपके वाह! ज़िन्दगी ९२ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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