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डाकिये के पाँव के निशान बने थे, उन पर कागज़ रखकर उन पाँवों का चित्र उतार लिया। अगले दिन उसने अपने यहाँ काम करने वाली बाई से उस नाप के जूते लाने का आग्रह किया। उसने मिट्टी की गुल्लक में जमा किये पैसे देकर बाई से जूते मँगवा लिये।
दीपावली के अगले दिन जब डाकिया आया तो उसने गली के सब लोगों से तो इनाम माँगा और सोचा कि अब इस बिटिया से तो क्या इनाम लेना? पर गली में आया हूँ तो उससे मिल ही लूँ। उसने दरवाजा खटखटाया, 'अरे, बिटिया, मैं आ गया हूँ।' 'कौन?' 'वही तुम्हारा डाकिया। बालिका बाहर
आई और उसके हाथ में एक गिफ्ट पैक था। उसने डाकिये से कहा, 'अंकल, मैं भी आपको दीपावली पर एक भेंट देना चाहती हूँ।' डाकिये ने आश्चर्य से कहा, 'तुम, अरे तुम तो मेरे लिए बेटी के बराबर हो, तुमसे मैं गिफ्ट कैसे लूँ?' 'नहीं, डाकिया अंकल, आप मेरी इस गिफ्ट के लिए मना नहीं करें। 'ठीक है' कहते हुए डाकिये ने पैकैट ले लिया। अंकल इस पैकेट को यहाँ नहीं बल्कि घर ले जाकर खोलना। लड़की ने कहा।
घर पहुँचकर डाकिये ने यह सोचते हुए कि मुझे प्यार करने वाली उस विकलांग बच्ची ने आखिर क्या दिया है, वह पैकेट खोलने लगा। पैकेट के खुलते ही वह विस्मित रह गया क्योंकि उसमें एक जोड़ी जूते भेंट किये गये थे। वह खुद को रोक न पाया, सीधा पोस्ट ऑफिस पहुँचा और पोस्ट मास्टर से फ़रियाद की कि तुरंत उसका ट्रांसफर कर दिया जाए। पोस्टमास्टर ने कहा, 'अचानक क्या हो गया? तुम्हारे प्रति किसी की शिकायत नहीं, हम भी तुम्हारे काम से संतुष्ट हैं, फिर क्यों तुम्हारा ट्रांसफर किया जाए ?' पोस्टमेन ने वे जूते टेबल पर रखते हुए सारी कहानी सुनाई और कहा, 'आज के बाद मैं उस गली में नहीं जा सकूँगा। उस अपाहिज़ बच्ची ने तो मेरे नंगे पाँवों को जूते दे दिये पर मैं उसे पाँव कैसे दे पाऊँगा?'
देश की गरीबी को दूर करने का एक उपाय और है : देश में शराब के ऊपर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया जाए। जब तक देश में शराबरहेगी, कोई आबाद न हो सकेगा। भाग्य से अगर आबाद हो भी गए तो यह शराब हमें बर्बाद कर देगी। जिस घर में व्यक्ति शराब पीता है वह व्यक्ति तो खोखला होता ही है ऐसे मिटेगी, देश की गरीबी
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