Book Title: Wah Zindagi
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 84
________________ अब नारी का और अधिक दमन न कर सके। ___ मैं चाहता हूँ कि आदिवासी, जन-जाति और ग्रामीण जनता को शिक्षित करने पर सर्वाधिक ध्यान दिया जाए। दूसरी बात कहूँगा कि न केवल शिक्षित किया जाय बल्कि उसे हुनर भी सिखाए जाएँ। ऐसी हस्त-कला, शिल्प या लोक-कला जरूर सिखाई जाए कि वह अपनी जीविका खुद चला सके। हरेक के लिए संभव नहीं है कि वह सरकारी नौकरी पाने में सफल हो जाए और न ही सरकार इतने अवसर उपलब्ध करा सकती है कि सभी को नौकरी मिल जाए। इसलिए शिक्षा रोजगार-मूलक होनी चाहिए। हाथ का हुनर सिखाया जाए। केवल कम्प्यूटर चलाना ही न सिखाया जाए बल्कि उसे कैसे ठीक किया जा सकता है, यह भी सीखें। कारपेन्टरी सीखें, हरेक को शिक्षा के साथ कोई-नकोई हुनर अवश्य आना ही चाहिए। सीखें और सिखाएँ भी। गरीबी दूर करने का तीसरा उपाय है कठिन परिश्रम । यह हमारी बदकिस्मती है कि हम बच्चों को पढ़ने की प्रेरणा तो देते हैं लेकिन मेहनत करने की प्रेरणा देने में असफल रहते हैं। जो लोग अपने बच्चों को मेहनत करना नहीं सिखा पाते, वे उनके पाँवों को कमज़ोर कर देते हैं। बड़े होने पर ऐसे बच्चे परिश्रम नहीं कर पाते। उनकी संघर्ष-क्षमता कम हो जाती है। परिणामस्वरूप उन्हें असफलताओं का सामना करना पड़ता है। अगर आप लड़की हैं तो माँ के काम में सहयोग करें, पुत्र हैं तो अपने कपड़े खुद धोयें। शिक्षा केवल यह नहीं सिखाती कि आप चौबीस घंटे पढ़ाई करते रहें बल्कि वह तो यह सिखाती है कि आप अपने कार्य करने में स्वयं समर्थ बनें। ____ जब आप दुकान जाएँ तो अपने पुत्र से भी कहें कि वह दुकान में आए। उससे कहें कि जब वह स्कूल से लौट आए तो शाम के समय दो घण्टे दुकान पर आकर बैठे। ऐसा करने से बच्चा आपके व्यापार से वाकिफ़ होगा। बच्चों को अपना काम खुद करना सिखाएँ। उन्हें ऐसा पौधा न बनाएँ कि जिनमें पानी दिया जाए तो ही वह पल्लवित हो। उसे तो जंगल का ऐसा पौधा बनाएँ जिसे कोई पानी देने वाला न पहुंचे तब भी वह कुदरत से अपने पानी की व्यवस्था खुद कर ले। देश की गरीबी केवल बातें कर लेने से दूर न होगी। बच्चे को आम खाने ऐसे मिटेगी, देश की ग़रीबी ७७ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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