Book Title: Wah Zindagi
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 78
________________ अंग-अंग से मुस्कराएँ। क्यों? ऐसा क्यों? अगर आप अपने भीतर प्रसन्नता संचारित करेंगे तो आप में उत्साह जाग्रत होगा। बुझे हुए मन से दिन का प्रारम्भ करने से सारे दिन उदासी ही छाई रहती है। बुखार आ जाने पर भी तबीयत में उत्साह भरा रहे तो आप पाएँगे कि तत्काल ही आपकी मनोदशा बेहतर हो गई एक प्रयोग करते हैं। माना कि किसी ने आपका अपमान कर दिया या आपको कटु वचन कह दिये। उस वक्त आप बिना कोई प्रतिक्रिया प्रकट किये धैर्यपूर्वक उसकी बात को सुन लीजिएगा और तत्काल अपने भीतर अपनी अन्तर्दृष्टि लेते हुए अपने तन-मन में उत्साह और ताज़गी का संचार कर लें और ताज़गी से भर जाएँ। आप पाएँगे कि आपकी बुद्धि बेहतर हो गई है। आप उस अपमान का जवाब भी सम्मान से देंगे। मैं ऐसे प्रयोग करता रहता हूँ इसलिए किसी की भी अपमानजनक टिप्पणी सुनकर मुझे गुस्सा नहीं आता, बुरा नहीं लगता। एक बात और, आत्म-विश्वास को पाने के लिए उस ईश्वर पर विश्वास अवश्य रखें जिसने आपको जीवन दिया है। मेरी दृढ़ आस्था है कि जो ईश्वर पर विश्वास करता है, वह हर विपरीत परिस्थिति का सामना करने में समर्थ होता है। निन्यानवें द्वार बंद हो जाने पर भी वह एक द्वार तुम्हारे लिए ज़रूर खोल देगा। आप निराश न हों। और कल की नसोचें। यह तो वही सोचेगा जो आनेवाला कल हमें देगा। अगर हम कल की सोचेंगे तो होगा भी क्या, अगर उसके दरवाजे पर हमारे लिए आनेवाला कल लिखा ही न हो। ___सारे कार्यविश्वासपूर्वक करें। असफलता मिले तो धैर्य न खोएँ।आत्मविश्वास सफलता के द्वार खोलता है। धैर्यवान व्यक्ति बार-बार असफल होने के बावजूद अंतत: सफलता का हक़दार बनता है। मृत्यु से घबराएं नहीं क्योंकि जिंदगी में मौत दो बार नहीं आया करती। वक्त से पहले मौत आती ही नहीं है और आने के बाद वह वापस नहीं जाती। जब प्रकृति की इतनी पुख्ता व्यवस्थाएँ हैं हमारे जीवन के लिए तो फिर मन को बोझिल क्यों किया जाए? निराश क्यों हुआ जाए? अपने मनोबल को क्यों तोड़ा जाए? अपने नज़रिये को ऊंचा ऐसे मिटेगी, देश की ग़रीबी ७१ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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