Book Title: Wah Zindagi
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

View full book text
Previous | Next

Page 77
________________ तो तुम्हारा आत्म-विश्वास लौट आएगा। अरे, उसके पास तो पाँव भी नहीं हैं, जबकि मेरे पास पाँव तो हैं। जूते न हुए तो क्या हुआ, पाँव तो हैं अभी तक। हम अपने मन को और उसकी मानसिक शक्ति को पहचानें। आत्मविश्वास जाग्रत करके अपने मन की धाराओं को दुरुस्त कीजिए। प्रत्येक कार्य को उत्साहपूर्वक सम्पन्न कीजिए। किसी भी कार्य को टूटे हुए मन से, बोझिल मन से मत कीजिए। हर कार्य को उत्साह, उमंग और ऊर्जा से सम्पन्न कीजिए। यह उत्साह भरा रहे कि भाग्य साथ दे या न दे लेकिन जब तक आपके अंदर ताकत है, उस अंतिम क्षण तक मेहनत करते रहें। आपके मन की बेहतर दशा कार्य को बेहतर बनाती है। आप आईने में अपना उदास चेहरा देखकर आईना ही बदल देते हो पर आईनों को बदलने से कुछ न होगा। आपको अपना चेहरा ही बदलना होगा। थोड़ी खुशी, थोड़ा विश्वास जगाना होगा। अपने मन को प्रसन्नता, उत्साह, उमंग से भरा हुआ बना लो तो यही समझ लो कि आईना अपने आप बदल गया। ____ उत्साह के साथ प्रत्येक काम कीजिए। व्यापारी हैं तो उत्साह से व्यापार कीजिए। धर्म-आराधना, तपस्या भी उत्साह के साथ कीजिए। अगर विद्यार्थी हैं तो उत्साहपूर्वक विद्यार्जन कीजिए। ताश के पत्ते जेब में रखने के लिए नहीं होते। उन्हें खेलिये भी। आप पाएंगे कि जो सफलता अभी तक आपके इर्दगिर्द घूमती थी, वह अब चौगुनी आनी शुरू हो गई है। जिंदगी में किसी भी काम को छोटा न समझें। कोई भी काम छोटा नहीं होता। अगर झाडू-पौंछा भी करो तो भी इतनी सफाई से करो कि अगर कहीं वहाँ पर भगवान भी आ जाएँ तो उन्हें भी आपके घर में रहने की इच्छा हो जाए। काम को छोटा-बड़ा समझने के कारण ही हमारे देश में इतनी बेरोजगारी है। काम तो बस काम है। उत्साहपूर्वक किया गया कार्य व्यक्ति की सफलता का द्वार बन जाता है। बोझिल मन से किया गया काम ही बंधन की बेड़ी बना करता है। ___ मन की दशा को अगर ठीक कर लिया जाए तो आप उत्साहपूर्वक, आत्म-विश्वास से लबरेज होकर करने पर छोटे से छोटे काम भी बड़े-से-बड़े परिणाम देने में समर्थ हो जाएँगे। आप उत्साहपूर्वक काम करने की कोशिश करें इसलिए मैं कहा करता हूँ कि जब भी आप सुबह उठे, जी भरकर मुस्कराएँ, वाह! ज़िन्दगी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114