Book Title: Wah Zindagi
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 75
________________ बगल में दबा लेता था । दैत्यों के सामने तो ब्रह्मा, विष्णु, महेश भी कमज़ोर पड़ जाते हैं। ऐसे दैत्यों को परास्त करना हँसी-खेल नहीं है। राम ने ईश्वरीय शक्ति के बल पर कम, किन्तु अपने आत्म-विश्वास के बल पर ही रावण पर विजय प्राप्त की थी। जो भी अपने जीवन में सफल और कामयाब हुआ है, निश्चित ही उसने अपने जीवन के साथ कुछ बुनियादी बातें जोड़ी होंगी। यह न समझें कि प्रारब्ध ही जीवन का परिणाम देता है । मैं ऐसे प्रारब्ध में विश्वास रखता हूँ जिसे हासिल कराने के लिए व्यक्ति पुरुषार्थ करे । जब तक तदबीर नहीं होगी, तक़दीर क्या परिणाम देगी ? कीड़ी को कण के लिए और हाथी को मण के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। शेर अगर गुफा बैठे-बैठे सोचे कि शिकार आ जाएगा तो सावधान ! शिकार तो नहीं आएगा बल्कि कोई तेज-तर्रार खरगोश वहाँ पहुँच जाएगा जो उसकी मौत का कारण बन जाए । व्यक्ति अपने आत्म-विश्वास को जाग्रत करके अपने जीवन में नई दिशाएँ पा सकता है। मैं आपके ही नगर (भीलवाड़ा) के एक व्यक्ति का नाम लेना चाहूँगा, इसलिए कि आप सभी को उससे प्रेरणा मिल सके। वह व्यक्ति है संगम ग्रुप के मालिक सोनीजी । मुझे बताया गया कि संगम ग्रुप का मालिक एक दिन ऐसी स्थिति में था कि वह जिस मकान में रहता था, उसका २५ रु. महीना किराया देना उसके लिए बहुत बड़ी बात होती थी । लेकिन वही व्यक्ति आज सम्पन्नता की ऊँचाइयों को छू रहा है। आखिर वे क्या कारण होंगे जिनसे व्यक्ति ऊँचाइयों को हासिल करता है? कोलम्बस जो भारत की खोज के लिए निकला था, सात समुद्र पार करते-करते अमेरिका पहुँच गया। यह बात अलग है कि वह निकला तो था भारत की खोज के लिए, पर पहुँच गया अमेरिका । पर वह क्या ताक़त थी जिसके बल पर सात महासागरों को पार करके वह अनुसंधान करना चाहता था । वह आत्म-विश्वास है उसका कि जाऊँगा और ऐसे देश की खोज करके आऊँगा। पीयरे ने उत्तरी ध्रुव की खोज की थी इसी आत्म-विश्वास के बल पर। एडीसन जिसने बल्ब का आविष्कार किया और संसार को रोशनी से भर दिया, प्रारम्भ में वह हजारों बार असफल होता रहा । आशा, विश्वास और वाह ! ज़िन्दगी ६८ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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