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उकसाते हुए विनम्रता से कहा। शेर उतावला हो गया और क्रोध में उसका विवेक नष्ट हो गया। वह चल पड़ा खरगोश के साथ कुँए की ओर। कुँए के पास आकर पूछा, 'कहाँ है वह शेर?' खरगोश ने कहा, 'कुँए में झाँककर देखिए।' शेर ने कुँए में झाँका तो वहाँ सचमुच ही एक शेर दिखाई दे रहा था। बावला शेर जोर से दहाड़ा, अंदर से दूनी ध्वनि से दहाड़ वापस आई। क्रोधी क्रोधी को देखकर अपने पंजे गाड़ देना चाहता है। शेर ने आव देखा न ताव, एक ही छलांग में कुँए के अंदर जा पहुँचा। शेर कुँए में गिर पड़ा। खरगोश बाहर बैठा तालियाँ बजा रहा था।
कहते हैं कि जंगल के सारे जानवर इकट्ठे हुए और खरगोश से पूछा, 'क्या बात है? दोपहर बीतने को आ गई है और तुम अभी तक शेर के पास नहीं पहुँचे? अब वह बहुत क्रोधित होगा और कल बहुत सारे जानवरों का शिकार कर डालेगा।' खरगोश अपने सभी मित्र जानवरों को कुँए के पास ले गया और बोला, 'जरा इसमें झाँककर तो देखो।' कुँए के पानी में एक लाश तैर रही थी। वह लाश एक सबल, समर्थ, सशक्त, बलवान शेर की थी जिसे कोई परास्त नहीं कर सकता था।
मनुष्य अपने मनोबल का प्रयोग कर जीवन की हर समस्या का समाधान कर सकता है। महावीर हों या बुद्ध, राम हों या रहीम, कृष्ण हों या कबीरचाहे जैसे अवतार पुरुष क्यों न रहे हों अथवा शेक्सपीयर हो या मैक्समूलर, नोबल हो या नेल्सन, गांधी हो या गोर्बाचोब, कौन व्यक्ति ऐसा है जिसने बिना मनोबल और आत्म-विश्वास के जीवन में कामयाबी पाई हो। टाटा, बिरला या अंबानी हों, विद्यार्थी हों या व्यापारी, कर्मचारी होंया अधिकारी, राजनीतिज्ञ हों या खिलाड़ी, हर किसी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने का मूल आधार व्यक्ति का अपना मनोबल है। मनोबल को ही दूसरे शब्दों में आत्म-विश्वास कहा जाता है।
आत्म-विश्वास हमारे जीवन की सबसे बड़ी शक्ति है। यह मानसिक शक्ति भी है और आध्यात्मिक शक्ति भी। आत्म-विश्वास ही प्रगति की सीढ़ी है। कामयाबी की मंजिलों तक ले जाने वाला भी आत्म-विश्वास ही है। अगर हम चाहें तो अपने आत्म-विश्वास को, हिम्मत और साहस को मजबूत रखकर
वाह! ज़िन्दगी
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