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घड़ी में भी दो वक्त तो ऐसे आते हैं जब वह सही समय दिखाती है। अगर हम किसी एक गलत बात पर अपना ध्यान केन्द्रित कर बैठे तो निन्यानवे अच्छाइयों से वंचित रह सकते हैं।
दूसरा अनुरोध है : सबको प्रेम दीजिये, सबको सम्मान की नज़रों से देखिए। पत्नी हो या बच्चे, माता-पिता हों या कर्मचारी, पड़ौसी हों या रिश्तेदार, सभी का समान रूप से सम्मान कीजिए। मैं तो कहूँगा कि अगर हमारे घर दुश्मन भी आ जाए तो उसे भी सम्मान दीजिए। याद कीजिए जब राम के सामने रावण और मेघनाथ का शव लाया जाता है तब क्या होता है? विभीषण सहित सभी लंकावासी सोच रहे होते हैं कि रावण ने राम की पत्नी सीता का हरण किया था अत: निश्चित ही अब यह राम रावण और मेघनाथ के शव के टुकड़े-टुकड़े करके गिद्धों और कुत्तों को खिलाएगा। पर नहीं, जबरावण और मेघनाथ का शव आता है तोराम तत्काल उनके सम्मान में खड़े हो जाते हैं और अपने कंधे पर रखे हुए उत्तरीय को उतारकर आदरपूर्वक उस शूरवीर योद्धा को समर्पित कर देते हैं।
अरे राम के भीतर राम को देखा तो कौनसी बड़ी बात हो गई? जो रावण में भी राम को देख सके उसी का नज़रिया बेहतर कहलाता है। संत में तो संत दिख जाएगा लेकिन असंत में भी संत देखने का नज़रिया अपने भीतर विकसित करो-यही तो अच्छा नज़रिया अपनाने का मूल सूत्र है। ___तीसरा अनुरोध है : अपने हर दिन का प्रारम्भ आप ज्ञान की किसी अच्छी बात से करें। अपनी एक पुस्तक है ‘क्या करें कामयाबी के लिए? उसमें ३६५ सूत्र दिये गए हैं। प्रतिदिन एक सूत्र पढ़ा जाए। जिस माह, जिस दिन जो तारीख़ है उसका पन्ना खोलें। उसमें एक बात कही गई है। उसे पुन: पुन: पढ़ें, दिमाग में उतारें और दिन का प्रारम्भ करें। ज्ञानपूर्वक अपने दिन की शुरूआत करने वाला व्यक्ति पूरे दिन ध्यान पूर्वक, होशपूर्वक जीता है।
नज़रिया अच्छा और बेहतर बन सके, इसके लिए चौथा सूत्र है : सदा सौम्य रहें। चेहरे पर सदा मुस्कान रखें। शुरूआत में भले ही यह मुस्कान कृत्रिम लगे, पर बाद में वही, ज्यों-ज्यों मुस्कराने का संस्कार भीतर उतरता
आत्मविश्वास जगाएँ, असंभव का 'अ' हटाएँ
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