Book Title: Wah Zindagi
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 61
________________ भाषा और बोली का उपयोग करते हैं, उसके स्तर को समझिए क्योंकि वे भी आपके नज़रिये के ही स्तर को दरशाते हैं। अगर कोई बच्चा गाली देता है तो मान लीजिए कि परिवार में कोई बड़ा व्यक्ति ज़रूर गाली देता होगा। अगर आपका बच्चा गुस्सा कर रहा है तो आप यह मानकर चलें कि माँ-बाप में से कोई-न-कोई ज़रूर गुस्सा कर रहा है। अगर आप गुस्सा कर रहे हैं तो बच्चों कोशांति से जीने को कहने के लिए आपका हक नहीं बनता। जहाँ लोग कुत्तेबिल्लियों की तरह लड़ते-झगड़ते हैं, जरा बताइये कि वहाँ संतान अच्छी कैसे बन पाएगी? ___ आप बताएं कि क्या आप कभी गाली देते हैं? आप कहेंगे कभी-कभी'। ईमानदारी से बताएँ तो पता चलेगा कि आप रोज़ ही गाली निकालते होंगे। कोई भी आदमी तभी तक शांत रहता है, जब तक उसे अशांत होने का मौका नहीं मिलता। कोई भी व्यक्ति तब तक ईमानदार रहता है, जब तक उसे बेईमान होने का निमित्त नहीं मिलता। निमित्त मिल जाने पर भी जो व्यक्ति ईमानदार रह सके, वास्तव में वही ईमानदार है। सच्चाई तो यही है कि जैसा घर का माहौल होता है, वैसा ही व्यक्ति का निर्माण होता है। देवता कोई आकाश से नहीं उतरते और भूत कोई पाताल से नहीं आते। समाज और घर-परिवार का जैसा वातावरण होता है, मनुष्य वैसा ही बनता है। मैंने एक प्यारी बच्ची शालिनी से पूछा, 'बेटी, तुम इतनी शालीनता से, इतने अदब से, इतनी विनम्रता से कैसे पेश आती हो?' उसने कहा, 'इसमें नई बात क्या है? हमारे घर में सभी लोग इसी तरह व्यवहार करते हैं।' जहाँ घर के सभी लोग एक-दूसरे से इतनी शालीनता से पेश आएँगे तो बच्चों में भी वे ही संस्कार आएँगे। जो आप करेंगे, बच्चे भी वही करेंगे। बच्चे तो आपके जीवन के आईने होते हैं। जैसे आप होंगे, वे वापस वैसा ही आपको दिखाएँगे। अगर आपको किसी प्रकार का व्यसन या लत है तो बच्चे भी चोरीछिपे उसे अपनाएँगे और आने वाले कल में खुल्लम-खुल्ला वह सब करेंगे जो आप आज कर रहे हैं। आज बच्चों में भी दुर्व्यसन आए हैं, आज जो वे आपके ५४ वाह! ज़िन्दगी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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