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पर नीचे तो राम ही का नाम था।
अरे, अगर पता चल जाए कि दुश्मन में भी खास रहस्य छिपा हुआ है तो तुम्हारी सकारात्मकता इसी में है कि तुम उस गुण को अपने जीवन में उतारो, तुम्हारी ताक़त और दस गुनी बढ़ जायेगी। लड़ने-झगड़ने से किसी की सफलता का प्रबंधन नहीं होता और न ही सामाजिक जीवन जीने के स्तर का प्रबंधन होता है। इसलिए अगर आपकी सोच और विचार ठीक व बेहतर हैं तो आपकी पूरी जिंदगी, हर व्यवहार और क्रिया बेहतर हो जाएगी।
व्यक्ति की पतित होने वाली विचारदशा पतन करती है और उन्नत विचारदशा उत्थान करती है जो उसे स्वर्ग के पथ का अनुयायी बनाती है। विचारों का प्रबंधन करना सीखिए। नकारात्मकता को निकालिए, सकारात्मकता को अपने जीवन से जोड़िए। बात-बात में हस्तक्षेप न कीजिए, बात-बात में अनर्गल अपशब्दों का प्रयोग न कीजिए। लड़ना ही है तो शतरंज खेलिए। अरे, आपस में क्या झगड़ना? राजा-रानी प्यादों को लड़ाइए। विचार-प्रबंधन के लिए जरूरी है कि हम कल्पनाओं में न उलझें, बल्कि वर्तमान को उपयोगी बनाएँ, हम सत्य के दृष्टा बनें, सच्चाइयों का सामना करें, जो है उसे स्वीकार करें। अपने स्वभाव और सपनों को पहचानें। व्यक्ति अपने कार्यों का स्वयं उत्तरदायी है। घर को जोड़ने और तोड़ने के उत्तरदायी हम स्वयं हैं।
जब सोचो तो अच्छा सोचो, जब देखो तो बेहतर ही देखो, अच्छा ही देखो। अपनी ओर से सदा दूसरों को सम्मान ही दो। अपमान का बुरा न मानो क्योंकि उसके पास देने के लिए यही था अत: उसने अपमान ही दिया। तुम्हारे पास सम्मान है अत: तुम सम्मान देकर अपना दर्जा ऊँचा उठाओ। फूलों की माला दूसरों को पहनाने के लिए होती है, औरों से पहनने के लिए नहीं होती।
औरों से पहनकर वह लघुता रखो कि यह उसका बड़प्पन है जो मुझे माला पहना कर सम्मान दे रहा है। यह न सोचो कि आज तुम इतने बड़े हो गए कि तुम्हारा सम्मान किया जा रहा है। सम्मान पाने से अहंकार बढ़ता है सम्मान पाने की आकांक्षा से अहंकार का पोषण होता है। लघुता, ऋजुता, सरलता इसी में है कि आप औरों को सम्मान दें।
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वाह! ज़िन्दगी
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