Book Title: Wah Zindagi
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 43
________________ निकाह करवा दूंगा।' मजनूं हरेक के पास जाता है, उन्हें गौर से देखता है और आगे बढ़ जाता है। एक से बढ़कर एक खूबसूरत! कहते हैं लैला बहुत सुन्दर भी न थी। मजनूं ने कहा, 'इनमें मेरी लैला कहाँ है?' बादशाह ने कहा, 'यहाँ इतनी खूबसूरत परियाँ हैं, आखिर तेरी लैला में ऐसा क्या है जो इनमें नहीं है? 'मजनूंने कहा, मेरी लैला में क्या है यह आप तभी समझेंगे जब आप मजनूं की आंखों से उसे देखेंगे। ___ हर धार्मिक व्यक्ति सुन ले कि मेरे भगवान को तुम तभी देख पाओगे जब तुम्हारा हृदय प्रेम से पूरित होगा, परमात्मा का प्यासा होगा। स्वयं समझते पंख, गगन के मौन अधर की भाषा, तृषित न केवल कंठ, नीर भी है उतना ही प्यासा। केवल तुम ही नहीं, वह भी तुम्हें पाने के लिए प्यासा है। माटी की सौंधी महक ही पुकार से भरी हुई नहीं है, बल्कि बादल में भरा हुआ जल भी पुकार से भरा है। ऊपर वाला नीचे आना चाहता है पर तब जब नीचे वाला अपने को ऊपर उठाने के लिए तत्पर हो। प्रेम से जीओ भाई ! प्रेम के रास्ते से ही जीवन सुखमय होगा। प्रेम के रास्ते से ही घर, परिवार और समाज सुखी होगा। प्रेम के रास्ते से ही परमात्मा के नूर की झलक मिलेगी। लोग तो प्रेम को बहुत साधारण सी चीज समझते हैं लेकिन मैं प्रेम के असाधारण रूप की चर्चा कर रहा हूँ। मेरे देखे मनुष्य के आध्यात्मिक विकास के दो मार्ग हैं-एक ध्यान, दूसरा प्रेम। ध्यान अपने आप के लिए है और प्रेम इस जगत् के साथ जीने के लिए है। अगर आप पूर्णत: विरक्त और वैराग्यवासित हो चुके हैं तो आपके लिए परमात्मा का द्वार ही भला है। यदि ऐसा नहीं है तो मैं कहूँगा कि आप सारे जगत् के साथ प्रेम और प्यार की डोर बाँधे । ध्यान रहे कि आप प्रेम को गोपनीय न रखें। यह तो पवित्र मार्ग है। अगर इसे गोपनीय रखेंगे तो यह प्रेम की प्रवंचना हो जाएगी। ___“जापान में एक ज्ञानध्यान-साधिका हुई है-'ईशून। वह जब विद्यालय में पच्चीस तीस विद्यार्थियों के साथ ध्यान करने की कला सीख रही थी तो उनमें से एक विद्यार्थी का ईशनू से प्रेम हो गया। वह ईशून से मिलना चाहता ३६ वाह! ज़िन्दगी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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