Book Title: Wah Zindagi
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 58
________________ बड़प्पन रखो। पहले जन्म लेने से कोई बड़ा और बाद में जन्म लेने से कोई छोटा नहीं होता। जो छोटी नज़र रखता है, वह छोटा होता है और जो बड़ा नज़रिया रखता है, वही बड़ा होता है। यह तो नज़रिये का फ़र्क है कि कौन व्यक्ति किस बात को किस एंगल से लेता है? अपनी मानसिकता को, अपने नज़रिये को यदि आप हर हाल में श्रेष्ठ, हर हाल में पॉज़ेटिव बनाकर रखते हैं, तो आप सामान्य से सामान्य काम के भी असामान्य और ऊँचे परिणाम पा सकते हैं। इस तरह का ऊँचा नज़रिया होना क्या अपने आपमें जीवन की सबसे बड़ी पूंजी नहीं है? ऐसा हुआ एक बार मैं किसी निर्माणाधीन भवन के पास से गुजर रहा था। मैंने यूँ ही वहाँ के लोगों से बातचीत शुरू कर दी। मैंने देखा कि एक व्यक्ति मिट्टी खोद रहा था। मैंने उससे पूछा, 'कहो भाई, क्या कर रहे हो?' वह बोला, 'क्या करें साब, भाग फूटे हैं, मिट्टी खोद रहे हैं और जैसे-तैसे दालरोटी की व्यवस्था कर रहे हैं।' वहीं दूसरे आदमी से आगे बढ़कर पूछा, 'कहो भाईजान, क्या कर रहे हो?' वह बोला, 'सा'ब, मकान बन रहा है, उसकी चारदीवारी बना रहा हूँ।' दो कदम आगे बढ़कर एक और से पूछा, भाई, यहाँ क्या बन रहा है?' ‘एक खूबसूरत इमारत बना रहे हैं।' उसने जवाब दिया। क्या आप समझ सकते हैं कि एक ही मकान के बाहर काम करने वाले तीन किस्म के लोग हैं? जिसका जैसा नज़रिया और स्तर, उसके जीवन में वैसा ही परिणाम। जो अपने को भाग-फूटा समझ रहा है वह जिंदगी भर मज़दूरी करके ही पेट भरेगा। जो सोचता है कि ईंट-चूना सजा रहा हूँ, वह कारीगर ही बना रहेगा। जिसकी नज़र में यह उदात्त भाव है कि वह एक खूबसूरत इमारत बना रहा है, निश्चित ही वह इंजीनियर, आर्कीटेक्ट या खूबसूरत कल्पनाओं का अदाकार रहा होगा। जैसी दृष्टि, वैसी सृष्टि। मेरे देखे, बेहतर नज़रिया जीवन के हर क्षेत्र का मूलमंत्र है। अपनी दृष्टि को, अपने नज़रिये को सकारात्मक बनाया जाए। बिना बेहतर नजरिये के तुम अच्छे बेहतर जीवन का बेहतर नज़रिया Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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