________________
वाला नहीं है। इसके लिए आपको कोई तंत्र-मंत्र-टोटका करना होगा, तभी आप इस दर्द से छुटकारा पा सकेंगे।' 'टोटका?' कृष्ण ने पूछा, 'कैसाटोटका?' वैद्यराज ने बताया कि, 'महाराज आप की पटरानी या रानियाँ अपने पाँव की धूल दे दें और उस धूल को पानी में घोलकर यदि आप पी लें तो आपके पेट का दर्द ठीक हो जाएगा।'
कृष्ण ने उद्धव से कहा, 'तू तो मेरा मित्र है और तू ही मुझे पेट के दर्द से बचा सकता है। जा, रनिवास में जा और मेरी पटरानियों और रानियों के पाँवों की धूल ले आ।' उद्धव महल में जाकर सत्यभामा, रूक्मिणी आदि रानियों को कृष्ण की हकीकत सुनाता है। तेजमिज़ाज़ी सत्यभामा एकदम आग-बबूला हो जाती है। 'उद्धव, तुम्हारा दिमाग तो खराब नहीं हो गया है ? हम कृष्ण की पत्नियाँ अपने पाँव की धूल अपने पति को पिलाएँ? तुम क्यों हमें पाप में धकेल रहे हो? आज तो तू (उद्धव ने यह बात कही है, आज के बाद फिर ऐसी बात न उठाना, वरना तुझे हम सीधा कर देंगी।'
उद्धव तो सर पर पाँव रखकर भागा और सीधा कृष्ण के पास पहुँचा और कहा 'हे कृष्ण, तुम्हारी रानियाँ तो यह काम नहीं करने वाली हैं।' कृष्ण ने कहा, 'दर्द के मारे मेरा दम निकला जा रहा है, कुछ तो प्रबंध करो।' उद्धव बोला, 'मैं तो आपकी सब रानियों के पास जाकर आ गया हूँ। कोई भी रानी आपके लिए पाँव की धूल देने को तैयार नहीं है।' तब श्री कृष्ण ने कहा, 'उद्धव, तुम कहते हो न कि मैं गोपी-गोपिकाओं के बीच पड़ा रहता हूँ। तुम अब वृन्दावन जाओ वहाँ शायद कोई गोपी तुम्हें अपने पाँवों की धूल दे दे।
उद्धव मथुरा-वृन्दावन पहुँचते हैं। उन्हें देखते ही गोपिकाएँ चारों ओर से उन्हें घेर लेती हैं और उत्सुकता से पूछती हैं, 'हे उद्धव,तुम हमारे कान्हा का क्या संदेशा लेकर आए हो?' ऊधौ ने कहा, 'क्या बताऊँ ? कहते हुए भी लाज आती है। क्या करूँ,कृष्ण ने काम ही ऐसा सौंपा है कि अगर तुम लोग वह काम कर दो तो तुम्हें सातवें नरक में जाना पड़ेगा।' गोपियाँ बोली, 'ऊधौ, तृ नरक की चिंता छोड़ और यह बता कि कौनसा संदेशा लेकर आया है ?' तब ऊधौ ने कृष्ण के पेट-दर्द की बात बताकर किसी एक गोपिका के पाँवों की ३४
वाह ! ज़िन्दगी
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org