Book Title: Wah Zindagi
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 55
________________ आप अपने व्यावहारिक जीवन में उपयोग करते रहिए और उसके चमत्कार देखते रहिए। सफलता की बुनियाद है सकारात्मक नज़रिया। सार्थकता की नींव है सकारात्मक नज़रिया। समृद्धि की कुंजी है सकारात्मक नज़रिया। सुखशांति की आत्मा है सकारात्मक नज़रिया। स्वर्ग और आनन्द का रास्ता है सकारात्मक नज़रिया। नज़रिये की कला को ठीक से न अपनाने के कारण ही परिवारों में दरारें पड़ती हैं, समाजों के टुकड़े हो जाते हैं, धर्म और पंथ आपस में टकराते हैं, देश के विभाजन हो जाते हैं। सत्य तो सारी दुनिया का एक ही है, ईश्वर तो सारे जहाँ का एक ही है, उस तक पहुँचने के रास्ते अलग-अलग हो सकते हैं। जो लोग सत्य को महत्त्व देते हैं, वे पंथों के दुराग्रह में नहीं उलझते। जो पंथों को महत्त्व देते हैं वे सत्य के सूरज से वंचित रह जाते हैं। आज प्रतिबिंबों की लड़ाइयाँ ज्यादा हैं, सत्य की लड़ाई कम है। सूरज को अगर कटोरों में पानी भरकर देखा जाए तो सूरज के अनेक प्रतिबिम्ब नज़र आएँगे। अगर पाँच कटोरों में पानी है तो सूरज के पाँच प्रतिबिम्ब बन जाएँगे लेकिन पाँच प्रतिबिम्ब होने से सूरज कभी भी पाँच रूपों में नहीं बँट सकता। दीयों में फ़र्क होने से ज्योति में कोई फर्क नहीं हुआ करता। जो लोग दियों को लेकर अपने-अपने पंथ के दुराग्रह पाल लेते हैं, वे धर्म के वास्तविक मूल्य, वास्तविक सत्य और वास्तविक परिणामों से वंचित रह जाते हैं। बेहतर नज़रिये का अर्थ ही यही हुआ कि व्यक्ति के सामने पांच कटोरों में सूरज का प्रतिबिंब दिखाई देता है लेकिन फिर भी वह जानता है कि बिम्ब और प्रतिबिम्ब में क्या भेद है? कटोरे सूर्य-चन्द्र को जानने के माध्यम तो हो सकते हैं, पर सम्पूर्ण सूर्य या चंद्र नहीं हो सकते। ___ घटिया नज़रिये के कारण ही परिवार और समाज में द्वंद्व होता है। छोटी सोच छोटे नज़रिये का कारण है। हीन और क्षुद्र दृष्टि का परिणाम है यह। जो भाई-भाई आपस में लड़ते हैं, यह उनकी घटिया सोच और घटिया नज़रिये का परिणाम है। समाज में जो टुकड़े हो जाते हैं, उनके लिए या तो उनका मार्गदर्शन करनेवाला छोटी सोच का आदमी है या फिर उनका अनुसरण करनेवाला हल्के नज़रिये का मालिक है। संतजन समाज को तोड़ते नहीं हैं ४८ वाह! ज़िन्दगी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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