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वक्त आने पर त्याग कर देता है लेकिन परिवार में टूटन नहीं होने देता।
कल्पना करें ऐसे बांध की जिसमें दरार पड़ चुकी हो। आपका परिवार, आपका समाज एक बांध है। अगर उसमें दरार आ जाए तो? यह टूटन है, टकराहट है। हम अपने समाज और परिवार के बीच दरारें न पड़ने दें। बड़ा वह नहीं है जो आयु में बड़ा है बल्कि बड़ा वह है जो बिखराव की स्थिति आने पर त्याग कर सके । जिंदगी तो चार दिन की है। इसे प्यार से जिओ, वरना जिंदगी बोझ बन जाएगी | आपके जो भी रिश्ते हैं- पति-पत्नी, भाई-बहन, पितापुत्र, माता-पुत्री, पुत्र-पुत्री जो भी रिश्ते हैं उन्हें प्रेम से जिओ ।
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो छिटकाय । टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गांठ पड़ जाय ॥
- प्रेम का धागा बहुत महीन होता है लेकिन होता बहुत मज़बूत है । फिर भी अगर वह टूट गया तो चाहे जितनी मरहम-पट्टी करो, जुड़ तो सकता है लेकिन उसमें गांठ भी पड़ जाती है । उस समय रिश्तों में वह मधुरता नहीं रह जाती, खटास आ जाती है। मेरे लिये तो प्रेम ही चंदन है, वासक्षेप है, प्रणाम है और आशीर्वाद भी है । जहाँ प्रेम हो, वहाँ सब चीजें माफ होती हैं और जहाँ प्रेम न हो वहाँ थोड़ी-सी भी अमर्यादा हो जाए, तो वह भी अक्षम्य अपराध हो
जाता है।
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निभाएँ, जिनसे भी आपके सम्बन्ध बने हैं, उन्हें निभाएँ | संबंध बनाने आसान होते हैं पर उनको निभाना कठिन होता है। समय आने पर ही संबंधों की परख होती है। अयोध्या में जिस समय मंदिर-मस्जिद का झगड़ा चल रहा था, हम लोग ऐसे मुहल्ले में घिर गए जहाँ केवल मुस्लिम बस्ती थी । लेकिन वे लोग जानते थे कि हमारी दृष्टि धर्म के प्रति विराट् है, उदार है। उन लोगों ने हमसे कहा, ‘महाराज, आप बिल्कुल भी फिक्र न करें। जब तक मुहल्ले में एक भी मुसलमान जीवित रहेगा, आप पर तनिक भी आँच नहीं आयेगी । ' हम लोग वहीं रहे। ऐसे तनावपूर्ण माहौल में एक साधिका कमलाजी हमारे लिए आहार लेकर आई। हम चौंक गये क्योंकि कर्फ्यू लगा हुआ था। किसी को बाहर दिखते ही गोली मारने के आदेश थे । हमने पूछा, 'वे यहाँ तक कैसे
वाह ! ज़िन्दगी
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