Book Title: Wah Zindagi
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 50
________________ आवारा मिट्टी की चोली। पिचकारी है तब तक गाली होली है बेशर्म ठिठोली। काबा जाओ, काशी जाओ, गंगा में डुबकियाँ लगाओ। दिल का देवालय गंदा है तो फंदा सारा धरम-करम है। रंग-रोगन कर देने भर से नया न होता भवन पुराना। सिर्फ गरीबी का मज़ाक है साड़ी में पैबन्द लगाना। गली-गली में दिया जलाओ, बंजर-बंजर फसल लगाओ, नफ़रत जब तक राज कर रही सबका सब सरगम मातम है। जिसके पास शब्द हैं जितने उतना उससे अर्थ दूर है। पर चूंघट का नहीं, रूप तो आत्मा का जलता कपूर है। नारों से मत अधिक पुकारो। साड़ी कुर्ते ही नसँवारो. उसको दो आवाज कि जिसका दर्द दिया, आँसू शबनम है। दुनिया क्या है, एक बहम है, शबनम में मोती होने का, और जिन्दगानी है जैसे पीतल पर पानी सोने का। आइए, प्रेम की दहलीज पर ४३ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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