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खाएँ। इतना न खाएँ कि खाने के बाद किसी पाचक पदार्थ का प्रयोग करना पड़े। भोजन का भी आप प्रबंधन करें। एक सीमा तय करें - कब खाना, कितना खाना, कैसे खाना इत्यादि ।
सबसे अच्छा है सुबह दूध पीएँ और खाना खाकर घर से निकलें। दोपहर में एक गिलास फलों का रस लीजिए या फल खा लीजिए। फलों का रस स्वास्थ्य के लिए अच्छा टॉनिक है। शाम को हल्का भोजन लीजिए। शाम को अगर किसी भोज में जाना भी पड़े तो भी आप तो हल्का भोजन ही लें । गरिष्ठ भोजन शाम को लेना शरीर के लिए ज्यादती है। हाँ, इतना अवश्य ध्यान रखें
रात को सोने से ३ घंटे पहले भोजन से अवश्य निपट जाना चाहिए ताकि पानी पूरी मात्रा में पिया जा सके। दिन-भर खाते-पीते न रहें । आहार- पानी IT भी आखिर एक सिस्टम होना चाहिए।
वस्त्र भी हमेशा सलीके के पहनें। एक मिल के बाहर महिला कर्मचारियों के लिए चेतावनी टँगी थी- 'यदि आप ढीले कपड़े पहनती हैं तो यहाँ चालू मशीनों से दूर रहें और यदि चुस्त कपड़े पहनती हैं तो मिल के कर्मचारियों से दूर रहें।'
आप जर्दा, तम्बाकू, सिगरेट और शराब से परहेज रखें। इनका उपयोग शरीर के साथ खिलवाड़ है। ये स्वास्थ्य के लिए शत्रु हैं। ये शरीर और मस्तिष्क सेल्स को दुष्प्रभावित करते हैं। इनके उपयोग से सभ्य समाज में आपकी 'इमेज' भी खराब होती है।
और हाँ, हमेशा विनम्रता और मधुरता से बोलें। जिसके पास विनम्रता और मधुरता के दो गुण हैं, वह कभी विफल और दरिद्र नहीं हो सकता । सफलता के मायने ही हैं हर हाल में मधुरता, शांति, आनंद अर्थात् कुल मिलाकर जीवन को एक सिस्टम दीजिए। खाली दिमाग के नहीं बल्कि खुले दिमाग़ के आदमी बनिये । अच्छाई का सम्मान हो, अच्छाई को जीने का अन्तर्बोध हो ।
प्रबंधन के लिए समय का भी प्रबंधन करें । 'टाइम मैनेजमेंट' 'लाइफ़ मैनेजमेंट' के लिए जरूरी है। समय तो सबका सूत्रधार है। समय से ही
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वाह ! ज़िन्दगी
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