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करीने से करने में विश्वास रखें। अपना हर कार्य सलीके से करें, वस्तुएँ यथास्थान रखें। कार्य नहीं करोगे तो कोई उलाहना तो नहीं है, पर उल्टासीधा करोगे तो मुश्किलें खड़ी हो जाएँगी। अरे, जो चलेगा ही नहीं वह गिरगा कैसे? जो चलेगा वह गिरेगा भी। मैं बोलूँगा तो गलती होगी। बोलूँगा ही नहीं, तो गलती क्या होगी? पर गलती करने वाला इतनी जागरूकताअवश्य रखे कि आज गलती हो गई तो क्या, कल गलती नहीं करूँगा। ___“ अपने कार्यों को इतने सुव्यवस्थित ढंग से सम्पादित कीजिए कि वे कार्य स्वत: ही प्रार्थना बन जाएँ। आपके कार्य करने का तरीका आपकी पहचान बन जाए। आने वाला कल ऐसा हो जो आपसे प्रेरणा ले सके। हर कार्य को सिस्टमेटिक ढंग से डेवलप करें। घर में ऐसी व्यवस्था दें कि आपका बच्चा सही तरीके से कार्य करना सीखे । आपकी व्यवस्था ही आपके लिए सुविधाजनक और लाभदायक होगी। अगर आप अपने कपड़े सलीके से समेटकर रखते हैं तो आपको उनमें सिलवट नहीं मिलेगी। पेन, डायरी सही जगह पर रखेंगे तो अंधेरे में भी ढूँढ सकेंगे। अन्यथा पूरे घर में ढूँढते फिरोगे और उन्हें खोज न पाओगे। अगर सुई भी हो तो वह भी ठीक जगह पर रखी जानी चाहिए।
दिन भर में क्या-क्या कार्य करना है, सुबह उठकर ही उसकी योजना बना लीजिए। जब सुबह चाय-नाश्ता कर रहे हों तो पास में एक लेटर-पैड
और पैन रख लीजिए और लिखते जाइए कि दिन भर में क्या-क्या काम करने हैं? बिना व्यवस्था के सोचेंगे तो करने के तीन काम भी याद नहीं आएँगे, लेकिन जब लिखने बैठेंगे तो सत्रह काम लिख पाएँगे।अब यह तय कीजिए कि किन कामों को कब करना है, किन कार्यों को पहले करना है ? अपनी दिनचर्या को व्यवस्थित क्रम प्रदान करें ताकि सभी काम सुचारु रूप से सम्पन्न हो सकें। कोई भी काम कल पर न टालें और आज का काम आज ही पूरा करें। योजनाबद्ध तरीके से काम करने वाला व्यक्ति अपने हर कार्य पूरे कर लेता है। याद रखें कि आगे के लिए कार्य टालते रहने से वह कार्य भारभूत हो जाएगा। रात को सोने से पहले आज का जितना काम निपट सकता है, जरूर निपटा लें। ध्यान रखें
कैसे करें स्वयं का प्रबंधन ?
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