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कर सकते हैं जिसमें सौ लोग हों पर उनमें किंचिन्मात्र भी प्रेम न हो? उन दो भाइयों का क्या साथ रहना जिसमें वैर-विरोध का परदा पड़ चुका हो और अगर भाई अलग-अलग देशों या शहरों में रहते हों पर उनमें प्रेम है तो दूरी, दूरी नहीं लगती, वे दूरियाँ भी करीबी का आधार बन जाती हैं। पूरे विश्व के लिए अकेला समाधान प्रेम है। रूंस भारत से दूर है फिर भी दिलों के नज़दीक है और पाकिस्तान भारत से लगा हुआ है पर दूरियाँ बहुत ज्यादा हैं। आतंकवाद, उग्रवाद, हिंसा और प्रतिहिंसा की ज्वाला को बुझाने के लिए प्रेम ही एकमात्र सीधा-सरल उपाय है।
महावीर के समय में अहिंसा ही एकमात्र समाधान थी क्योंकि तब पशुओं की बलि दी जाती थी। राम के समय में मर्यादा का मूल्य हुआ। मैं अपने समस्त संदेशों को एक ही शब्द में पिरोऊँगा कि हम प्रेम के साथ अपना जीवन जीएँ। प्रेम से स्वर्ग का रास्ता खुलता है। हकीकत तो यह है कि प्रेम के मार्ग से ही परमात्मा की झलक मिलती है। जिस प्रार्थना में प्रेम न हो वह केवल शब्द-जाल है। जिस पूजा में प्रेम न हो वह केवल चंदन का घिसना है। यदि नमाज और इबादत में प्रेम और भक्ति का समर्पण न हो वह इबादत उठकबैठक भर है। परमात्मा के द्वार पर पहुँचने के लिए अन्तत: हर किसी व्यक्ति कोप्रेम की दहलीज़ पर आना ही होगा। प्रेम ही प्रसाद है, प्रेम ही प्रणाम है और प्रेम ही आशीर्वाद है। मेरे अमृत प्रेम में प्रसाद, प्रणाम और आशीर्वाद तीनों छिपे हैं। ये सब चीजें प्रेम के ही विस्तृत रूप हैं। ___जो परमात्मा की ओर अपने कदम बढ़ाता है, मेरे देखे वह प्रेम ही है। आखिर जब भगवान की स्तुति के लिए योगी योग करते हैं, भक्त पूजा और अर्चना करते हैं, ऋषि-मुनि उनका ध्यान धरते हए भी सीमा नहीं पाते लेकिन वही परम पिता परमेश्वर लोगों के प्रेम से पूरित हो जाने पर स्वयं उनकी दहलीज़ पर चले आते हैं। रसखान ने कहा है
शेष गणेश दिनेश महेश सुरेश हुं जाहि निरन्तर ध्यावें। जाहि अनादि अनंत अखंड अछेद, अभेद, सुवेद बतावें। नारद से शुक व्यास रटैं, पचि हारे तउ पुनि पार न पावें। ताहि अहीर की छोहरियाँ, छछिया भरि छाछ पे नाच नचावें॥
आइए, प्रेम की दहलीज पर
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