Book Title: Wah Zindagi
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 28
________________ किनारे जाकर अपना नाम पत्थरों पर लिखकर उन्हें समुद्र में उतारना होगा। अगर आप पानी में पत्थर तिरा सके तो जनता का विश्वास जीतने में आप सफल हो जाएँगे।' रावण जानता था कि उसके पास ढेरों प्रकार की शक्तियाँ हैं लेकिन पत्थर को पानी में तैराने की कला और शक्ति उसके पास नहीं है पर अगर जनता में लंकाधिपति के प्रति विश्वास ही न रहेगा तो युद्ध में उसके साथ कौन लड़ेगा! सभासदों के दबाव में आकर रावण समुद्र के किनारे पहुँच गया और उसने घोषणा भी कर दी कि वह पत्थरों को पानी मे तैरा देगा। राक्षसों द्वारा वहाँ बड़े-बड़े पत्थर इकट्ठे कर दिये गये। सबके ऊपर 'रावण' लिख दिया गया। क्या आप जानते हैं कि वे पत्थर डूबे या तैरे? अगर डूब गए तो क्यों और तैरते रहे तो क्यों? अगर तैरते रहे तो आप राम के बजाय रावण का जाप क्यों नहीं करते?' अगर 'राम' नाम के पत्थर तैरते रहें तो जान लीजिए कि 'रावण' नाम के पत्थर भी तैरते रहे। केवल सकारात्मक विचारों के कारण। रावण ने पत्थर उठाए, कुछ सोचा और पानी में पत्थर उतार दिए। सारे पत्थर तैरने लगे। लंका में रावण की जय-जयकार हो गई कि दुनिया में केवल राम की ताक़त ही नहीं है बल्कि रावण की ताक़त भी ताकत है। रावण जब राजमहल में पहुँचा तो मंदोदरी ने कहा, 'मैं यह तो जानती हूँ कि आपमें बहुत शक्ति और ताकत है लेकिन यह बात समझ में नहीं आई कि आपके नाम में ऐसी कौनसी करामात है कि पत्थर भी तिर गये?क्योंकि जब मैंने सुना तो मैं भी समुद्र के किनारे गई। मैंने भी पत्थर पर 'रावण' लिखा था और जैसे ही उसे पानी में छोड़ा, पत्थर डूब गया आपने 'रावण' लिखवाया वह पत्थर कैसे तैर गया?' रावण ने कहा, प्रिये! अब तुमसे क्या छिपाना? हर पत्थर पर रावण लिखा गया तो मैं भी संदिग्ध था कि पत्थर तैरेगा या डूबेगा। मैंने पत्थर को हाथ में उठाया और मन-ही-मन उससे कहा, 'हे पत्थर, तुम्हें राम की सौगंध है अगर तुम डूब गए, तो ऐसा कहते हुए मैंने पत्थर पानी में छोड़ दिया और पत्थर तैर गया। पत्थर पर भले ही 'रावण' शब्द लिखा हो, कैसे करें स्वयं का प्रबंधन ? २१ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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