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और उसने उनके साथ बद्तमीजी की। इसलिए हम उसे गिरफ्तार करने आए हैं। उसके साथ अन्य दो लड़के भी थे जिन्हें हम पकड़ चुके हैं और अब आपके बेटे की बारी है।
पिता ने सब सुना, गहरी लम्बी साँस भरी और वह बेटे के कमरे में गया। उसने बेटे से पूछा, ‘सच-सच बताओ, क्या तुमने किन्हीं लड़कियों के साथ छेड़खानी की थी? बाहर पुलिस खड़ी है, सच-सच बता दो।' बेटे ने शर्म से गर्दन झुका दी। पिता ने फिर दोहराया, 'मैं पूछ रहा हूँ बेटा, क्या तुमने ऐसा किया?' बेटे ने कुछ ज़वाब न दिया। पिता समझ गया। वह बाहर आया और इंस्पेक्टर से बोला, 'मेरा बेटा कमरे में है। जाइए, उसे गिरफ्तार कर लीजिए।' बेटा गिरफ्तार हो गया। बेटे के मन में क्रोध भर गया कि यह कैसा पिता है जो मुझे बचाने के बजाए मुझे जेल भेज रहा है। इंस्पेक्टर के मन में भी विचार आ रहे थे कि यह अजीब आदमी है जो अपने ही पुत्र को गिरफ्तार करवा रहा है। लगता है, बाप-बेटे में अनबन है। लेकिन वह क्या करे ! ले चला वह अपने मुजरिम को कि तभी पिता ने आवाज लगाई, 'ठहरो। इंस्पेक्टर साहब आप जरा अंदर आइए।' अपनी अलमारी से उसने पांच हजार रुपये निकाले और इंस्पेक्टर को देते हुए कहा, 'ये रुपये मैं अपने बेटे को छुड़ाने के लिए नहीं, बल्कि इस बात के लिए दे रहा हूँ कि आज आप इसकी इतनी पिटाई करें कि आज के बाद यह फिर से किसी भी लड़की पर गलत नजर डालने का साहस न कर सके।" ___यह पता चलने पर कि बेटा बिगड़ रहा है, माता-पिता होने के नाते, घर का बुजुर्ग और अभिभावक होने के नाते आपका भी यह दायित्व है कि आप उसे पुन: सही रास्ते पर लाएँ।
जैसे माता-पिता के दायित्व हैं बच्चों के प्रति, वैसे ही बच्चों के भी कुछ कर्त्तव्य हैं अपने माता-पिता के प्रति। माता-पिता तो किसी पवित्र मंदिर की तरह होते हैं जिनके चरणों में ही स्वर्ग होता है। जो अपने माता-पिता की उपेक्षा करते हैं, वे भूल जाते हैं कि उन पर माता-पिता का कितना ऋण है। इसलिए मैं कहा करता हूँ कि जो व्यक्ति आठ घंटे अपनी पत्नी के साथ बिताता है, वह
घर को स्वर्गकैसे बनाएँ?
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