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वाह ! ज़िन्दगी
कैसे करें स्वयं का प्रबंधन?
“औरों को अनुशासन में रखना किसी के लिए भी आसान हो सकता है, पर स्वयं को अनुशासन में रखना बहुत बड़ी चुनौती है।"
नव-समाज के बीच जैसे-जैसे शिक्षा का स्तर ऊँचा उठता जा रहा है, वैसे-वैसे उसके जीने का स्तर भी ऊँचा होता चला आ रहा है।
शिक्षा के स्तर ने लोगों को अधिक सुखी, सफल और समृद्ध बनाया है। वर्तमान की सबसे बड़ी खोज तो यही है कि यदि व्यक्ति चाहे तो अपने नज़रिये में आमूलचूल परिवर्तन कर सकता है।
किंवदंती है कि मनुष्य का स्वभाव श्मशान में जाकर भी नहीं बदलता। मौत ही कुछ करे तो ठीक अन्यथा...। नीम के पेड़ को चाहे दूध या घी से सींचा जाए पर उसकी कड़वाहट खत्म नहीं होती। वर्तमान समय में व्यक्ति
और पदार्थ में जैसा चाहें वैसा परिवर्तन किया जा सकता है। यही कारण है कि मैं जो आपसे मुखातिब होरहा हूँ वह केवल इसीलिए कि सोच और नज़रिये में परिवर्तन लाकर जीने की शैली और स्तर को बेहतर बनाया जाए।
विल्मा रोडॉल्फ जैसे लोग जीवन यदि में कुछ कर गुजरने का संकल्प और मानस बना लेते हैं तो विकलांगता और हर अभाव के बावजूद भी अपने जीवन में सफलता की ऊँचाइयों को छू सकते हैं। विल्मा चार वर्ष की आयु में
वाह! ज़िन्दगी
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