Book Title: Vibhinna Dharm Shastro me Ahimsa ka Swarup
Author(s): Nina Jain
Publisher: Kashiram Saraf Shivpuri

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Page 13
________________ ( २ ) आदि अहिंसकों को जो स्थान प्राप्त है वह शायद ही किसी अन्य को होगा। इतिहास डंके की चोट से इस बात को स्वीकार करता है कि भारतवर्ष के लिये अहिंसा प्रधान युग ही स्वर्ण युग रहा है। यद्यपि अनेकों विद्वानों को अव्यवहारिक और कायरता की जननी समझकर राष्ट्रनाशक बताया है। उनकी इस धारणा को केवल एक ही प्रमाण देकर निराधार सिद्ध किया जा सकता है। गांधीजी ने किस मार्ग का अनुसरण करके भारत को आजाद कराया ? इतिहास साक्षी है, एक स्वर से आवाज आयेगी-अहिंसा का मार्ग अपनाकर । असहयोग आन्दोलन चल रहा था। चौरा-चौरी नामक स्थान पर हिंसात्मक घटना सुनते ही गांधीजी ने आन्दोलन स्थिगित करने का आदेश दे दिया। फिर चाहे उन्हें मनता के साथ-साथ बड़े-बड़े नेताओं का भी विरोध क्यों न सहना पड़ा । लेकिन आन्दोलन में हिंसा उन्हें बर्दाश्त नहीं थी। अहिंसा मार्ग पर चलते हुए ही अंग्रेजों को झुक जाने को मजबूर किया और देश आजादी का परिणाम हमारे समक्ष है। .. ऐसे अहिंसा प्रधान देश में आज मांसाहार की प्रवृत्ति किस कदर अपना फन फैला रही है, यह किसी से छिपा नहीं है। हमारे यहां भगवान महावीर, राम, कृष्ण, हनुमान, एवं महादेव के मन्दिर नगर-नगर एवं गांव-गाँव में मिलेंगे। इसी प्रकार इस्लाम की मस्जिदें, ईसाइयों के गिरजाघर, बुद्ध के देवालय एवं गुरुद्वारों की कमी नहीं है। इन सभी स्थानों को पवित्र धर्म स्थान की संज्ञा दी गयी हैं । स्वधर्म सम्बन्धि श्रद्धाशील उपासक जन उनमें अगरबत्ती, धूप-दीप, श्रीफल इत्यादि पूजा का सामान लेजाकर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। क्या कभी ऐसा भी देखा अथवा सुना गया है कि अमुक भक्त ताजे मांस का थाल सजाकर पूजा करने की भावना से किसी एक पर गया है । ऐसा क्यों नहीं। कारण यही है कि मांस-मदिरा जैसी घिनौनी चीजों को देखते ही हृदय में दुविचारों के कीड़े कुलबुलाते हैं। इसीलिये आर्य एवं अनार्य दोनों Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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